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अगस्ता वेस्टलैंड केस में आयकर विभाग की कार्रवाई, 25 जगहों पर छापेमारी

अगस्ता वेस्टलैंड केस में आयकर विभाग ने दिल्ली-एनसीआर और पुणे में 25 जगहों पर छापेमारी की है. आयकर विभाग के सूत्रों ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर और पुणे में 25 स्थानों पर छापेमारी चल रही है.  

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अगस्ता वेस्टलैंड केस में आयकर विभाग की छापेमारी (फाइल फोटो)
अगस्ता वेस्टलैंड केस में आयकर विभाग की छापेमारी (फाइल फोटो)

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  • अगस्ता वेस्टलैंड केस में आयकर विभाग की छापेमारी
  • सुशील मोहन गुप्ता, दिनेश मुनोत के ठिकानों पर छापा

अगस्ता वेस्टलैंड केस में आयकर विभाग ने दिल्ली-एनसीआर और पुणे में 25 जगहों पर छापेमारी की है. आयकर विभाग के सूत्रों ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर और पुणे में 25 स्थानों पर छापेमारी चल रही है. अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले के सिलसिले में सुशील मोहन गुप्ता और पुणे स्थित उद्योगपति दिनेश मुनोत के ठिकानों पर छापेमारी जारी है.

इससे पहले आयकर विभाग ने इसी मामले में संजीत बख्शी से जुड़े परिसरों में छापेमारी की. अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में संजीत का नाम भी जुड़ा हुआ है. आयकर विभाग ने संजीत के खिलाफ 3000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का मामला पाया. संजीत की पत्नी नियामत बक्शी इस मामले में फंसे रतुल पुरी की दोस्त हैं.

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हिरासत के दौरान नियामत रतुल पुरी से मिली थीं और उसी समय से आयकर विभाग की संजीत पर नजर थी. छापेमारी में आयकर विभाग ने 3.5 करोड़ रुपये के गहने और कैश जब्त किए.  बता दें कि रतुल पुरी अगस्ता वेस्टलैंड मामले में जांच के घेरे में हैं. रतुल पुरी पर उनकी कंपनी के जरिए कथित तौर पर रिश्वत लेने का आरोप है. प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि रतुल पुरी की स्वामित्व वाली कंपनी से जुड़े खातों का उपयोग रिश्वत की रकम लेने के लिए किया गया.

क्या है पूरा मामला

2010 में भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलि‍कॉप्टर खरीदने के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड और भारत सरकार के बीच करार हुआ था. जनवरी 2014 में भारत सरकार ने 3600 करोड़ रुपये के करार को रद्द कर दिया. आरोप था कि इसमें 360 करोड़ रुपये का कमीशन लिया गया.

इसके बाद भारतीय वायुसेना को दिए जाने वाले 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की सप्लाई के करार पर सरकार ने फरवरी 2013 में रोक लगा दी थी. जिस वक्त यह आदेश जारी किया गया, भारत 30 फीसदी भुगतान कर चुका था और बाकी तीन अन्य हेलीकॉप्टरों के लिए आगे के भुगतान की प्रक्रिया चल रही थी.

यह मामला इटली की अदालत में चला जिसमें ये बातें उजागर हुईं कि 53 करोड़ डॉलर का ठेका पाने के लिए कंपनी ने भारतीय अधिकारियों को 100-125 करोड़ रुपये तक की रिश्वत दी थी.

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