आयकर विभाग ने टैक्स चोरी करने वाले लोगों के 'पैन' ब्लॉक करने और एलपीजी सब्सिडी खत्म करने का फैसला लिया है. विभाग इनके अलावा कुछ और भी कड़े कदम उठाने जा रहा है, जिससे टैक्स चोरी करने वालों को बैंकों से लोन नहीं मिल सके.
मौजूदा वित्त वर्ष से होगी कार्रवाई
इनकम टैक्स रिटर्न न भरने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी को देखते हुए आयकर विभाग ने अपने अधिकारियों से कहा कि वे ऐसे मामलों में जुर्माना लगाएं और कार्रवाई शुरू करें. आयकर विभाग मौजूदा वित्त वर्ष से ही ऐसी कार्रवाई करना शुरू कर देगा.
ब्लॉक होगा टैक्स चोरों का पैन
आयकर विभाग की ओर से तैयार स्ट्रेटजी पेपर के मुताबिक विभाग के अफसर टैक्स चोरों के पैन ब्लॉक करा देंगे, ताकि ऐसे लोगों को बैंक से किसी तरह का लोन नहीं मिल पाएगा. यही नहीं, ऐसे पैन की डिटेल रजिस्ट्रार ऑफ प्रॉपर्टीज को भेज दी जाएगी, जिससे टैक्स चोर कोई अचल संपत्ति न खरीद सकें, जहां ऐसे पैन जरूरी होते हैं.
सब्सिडी से वंचित होंगे डिफॉल्टर
इसके अलावा वित्त मंत्रालय को ऐसे डिफॉल्टरों की एलपीजी सब्सिडी जैसी सुविधाएं छीन लिए जाने को कहा जाएगा, जिसका पैसा सीधे बैंक अकाउंट में जाता है. ऐसे डिफॉल्टरों की सूचना देशभर के आयकर दफ्तरों में भेज दी जाएगी, ताकि उन्हें लोन न मिल सके और सरकार की ओर मिलने वाली सब्सिडी से वंचित किया जा सके.
5 हजार रुपये तक जुर्माना, 7 साल तक जेल
विभाग ने रिटर्न न भरने वालों पर नजर रखने के लिए एक सिस्टम शुरू किया है. इसमें कहा गया है कि उचित मामलों में आयकर कानून की धारा 271एफ (आयकर रिटर्न न भरने के लिए जुर्माना) और 276सीसी (आयकर रिटर्न न भरने वालों पर मुकदमा) के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. इसमें कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति जिसके लिए आईटी रिटर्न भरना जरूरी है और वह ऐसा नहीं करता है, तो उसके खिलाफ 271एफ के तहत 1 हजार रुपए से 5 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए. धारा 276सीसी के तहत ऐसा नहीं करने वालों के लिए तीन महीने से लेकर सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
2015 में बढ़ी है रिटर्न ना भरने वालों की संख्या
आयकर विभाग के मुताबिक ऐसे लोगों की तादाद साल 2015 में बढ़कर 58.95 लाख हो गई है, जिन्हें रिटर्न भरना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. साल 2014 में रिटर्न न भरने वालों की संख्या 22.09 लाख, जबकि 2013 में 12.19 लाख थी.
1 करोड़ वालों की होगी बदनामी
आयकर विभाग ने मौजूदा वित्त वर्ष से सभी तरह के करदाताओं के नाम जगजाहिर करने का फैसला लिया है, जिनपर एक करोड़ रुपये या इससे अधिक की देनदारी है. विभाग ने पिछले साल बड़े डिफॉल्टरों के खिलाफ ऐसी मुहिम शुरू की थी, जिनपर 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी थी. अब तक ऐसे 67 लोगों के नाम सार्वजनिक किए जा सके हैं.