scorecardresearch
 

चीफ जस्ट‍िस आरएम लोढ़ा ने कहा, 'न्यायपालिका की आजादी पर कोई समझौता नहीं'

भारत के चीफ जस्ट‍िस आरएम लोढ़ा ने कहा कि है न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के पास किसी भी तरह के हस्तक्षेप को नाकाम करने की क्षमता निहित है.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

भारत के चीफ जस्ट‍िस आरएम लोढ़ा ने कहा कि है न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के पास किसी भी तरह के हस्तक्षेप को नाकाम करने की क्षमता निहित है.

Advertisement

हालांकि जस्ट‍िस आरएम लोढ़ा ने संसद की ओर से पारित उस कानून का जिक्र नहीं किया, जिसके त‍हत न्यायिक पदों की नियुक्तियों के लिए जजों के निर्णायक मंडल की प्रणाली समाप्त करने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को छीनने का कोई प्रयास सफल नहीं होगा.

‘रूल ऑफ लॉ कनवेंशन 2014’ विषय पर सेमिनार को संबोधित करते हुए जस्ट‍िस लोढ़ा ने कहा कि जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए न्यायिक स्वतंत्रता जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह एक संस्था है, जो कार्यपालिका या किसी और की ओर से किए गए गलत कार्यों के मामले में उनकी मदद करती है.

न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा ने शनिवार को वकील समुदाय का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को दूर रखा जाए, जो न्यायपालिका की छवि धूमिल करने के हथकंडे अपनाते हैं. न्यायमूर्ति लोढ़ा 27 सितंबर को CJI के पद से रिटायर हो रहे हैं. हालांकि उन्होंने संसद की ओर से पारित कानून का साफ जिक्र नहीं किया, लेकिन कहा, ‘मैं इस विषय (विधेयक) पर नहीं बोलूंगा, लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता के मसले को छूना चाहता हूं, जो मुझे बहुत ही प्रिय है. यह ऐसी चीज है, जिससे समझौता नहीं हो सकता है.’

Advertisement

न्यायपालिका की स्वतंत्रता 'पवित्र': कानून मंत्री
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता 'पवित्र' है. उनका यह बयान भारत के प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की इस टिप्पणी के बाद आया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को छीनने के प्रयास सफल नहीं होंगे.

न्यायपालिका में नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम प्रणाली खत्म करने के प्रयासों के बारे में न्यायमूर्ति लोढ़ा के बयान पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मौजूदा सरकार के अनेक मंत्रियों की जड़ें 70 के दशक के जेपी आंदोलन से जुड़ी हैं, जिसके बाद आपातकाल लगाया गया था.

उन्होंने कहा, ‘हम तीन कारणों के लिए आपातकाल में लड़े. व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मीडिया की आजादी और न्यायपालिका की आजादी. 70 के दशक में न्यायपालिका की स्वतंत्रता गहरे संकट में थी. इसलिए हमने न्यायपालिका के लिए संघर्ष किया है.’

कानून मंत्री ने कहा कि जब वे कहते हैं कि मोदी सरकार न्यायपालिका के प्रति सर्वोच्च सम्मान रखती है, तो वह यह बात प्रतिबद्धता और विश्वास की भावना के साथ कहते हैं.

Advertisement
Advertisement