प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार देश की सत्ता पर काबिज होने के बाद पहली बार भूटान दौरे पर जा रहे हैं. अपनी दो दिवसीय यात्रा के तहत प्रधानमंत्री मोदी 17 अगस्त को भूटान पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री की इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 10 एमओयू (मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर दस्तखत होंगे.
भूटान में भारत की राजदूत रुचिरा कुमार के अनुसार 10 समझौतों पर दस्तखत के अलावा प्रधानमंत्री पांच परियोजनाओं का लोकार्पण भी करेंगे. उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस भूटान यात्रा को दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में निरंतर किए जा रहे प्रयास के रूप में देखा जा सकता है.
थिम्फू में भारत की राजदूत ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस दौरे के दौरान जो भी उपलब्धियां होंगी, वह प्रधानमंत्री मोदी के पिछले पांच साल के कार्यकाल के दौरान किए गए कठिन परिश्रम का परिणाम हैं.
रुचिरा कंबोज ने कहा कि भूटान ने पूरे दिल से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि भूटान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के न होने को विसंगति बताया है. भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए.Ruchira Kamboj, India's Ambassador to Bhutan, in Thimphu: All the initiatives that you see in this visit (Prime Minister Narendra Modi's visit to Bhutan on 17-18 Aug) are the result of lot of hard work undertaken during the course of PM Modi's past 5 years. https://t.co/eSNYQVpYWW
— ANI (@ANI) August 16, 2019
Ruchira Kamboj, India's Ambassador to Bhutan, in Thimphu: Bhutan wholeheartedly supports India's bid for permanent membership in the United Nations Security Council. In fact, Bhutan has said it is an anomaly that India is not in the Security Council today, when it should be. pic.twitter.com/FSeQQY1tIM
— ANI (@ANI) August 16, 2019
गौरतलब है कि पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले भूटान के प्रधानमंत्री डॉक्टर एल शेरिंग ने सोशल पर एक पोस्ट शेयर किया था. भूटानी प्रधानमंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष की पुस्तक 'एग्जाम वारियर्स' की तारीफ की थी. डॉक्टर शेरिंग ने पीएम मोदी को सरल और सहज व्यक्ति बताते हुए कहा था कि वह देश को आगे ले जाने वाले कड़े फैसले लेने में भी नहीं हिचकते.
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहले कार्यकाल के दौरान पड़ोसी प्रथम की नीति अपनाई थी. पीएम मोदी ने अपने विदेश दौरों की शुरुआत भी पड़ोसी देश भूटान से ही की थी. इसके अलावा डोकलाम विवाद के समय भी भूटान का पक्ष लेकर भारत मजबूती से चीन के समक्ष खड़ा हो गया था.