भारत और ऑस्ट्रेलिया ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे ऑस्ट्रेलिया अब भारत को यूरेनियम की आपूर्ति कर सकेगा. इसके साथ ही दोनों देशों ने सुरक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष टोनी एबोट के बीच बैठक के बाद परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. दोनों नेताओं ने इराक एवं यूक्रेन की स्थिति सहित द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की.
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 2012 में यूरेनियम की ब्रिकी को लेकर बातचीत शुरू की थी. इससे ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया ने भारत को यूरेनियम के निर्यात पर लगे दीर्घकालीन प्रतिबंध को हटाया था ताकि भारत की महत्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रम की जरूरत पूरी हो सके. यूरेनियम के भंडार के मामले में ऑस्ट्रेलिया दुनिया का तीसरा प्रमुख देश है और वह एक साल में करीब 7,000 टन यूरेनियम का निर्यात करता है.
इस करार का मकसद परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है. इस समझौते में यह स्वीकार किया गया कि भारत सतत विकास और अपनी ऊर्जा सुरक्षा की जरूरत को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा और इसको लेकर प्रतिबद्ध है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए समझौते में कहा गया है, ‘ऑस्ट्रेलिया भारत को यूरेनियम की दीर्घकालीन आपूर्ति की भूमिका निभा सकता है. इसके तहत यूरेनियम की आपूर्ति, रेडियो आइसोटेप्स का उत्पादन, परमाणु सुरक्षा और सहयोग के दूसरे क्षेत्रों में सहयोग करना है.’
आज के समझौते की खासी अहमियत है क्योंकि भारत के परमाणु संयंत्र करीब 4680 मेगावट बिजली पैदा करते हैं, जिसमें से 2840 मेगावाट का उत्पादन स्वदेशी यूरेनियम से होता है, जबकि 1840 मेगावाट का आयात किए हुए ईंधन से होता है. दोनों प्रधानमंत्रियों ने निर्देश दिया कि वार्ताकार परमाणु समझौते से जुड़े प्रशासनिक प्रबंधों को जल्द पूरा करें. अधिकारियों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया से भारत को यूरेनियम की पहली खेप मिलने में दो साल का समय लग सकता है. असैन्य परमाणु समझौता दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित चार समझौतों में से एक है.
तकनीकी व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण, जल संसाधन प्रबंधन और खेल के क्षेत्रों में भी समझौते हुए हैं. एबोट ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को भारत से वादा मिला है कि उससे मिले यूरेनियम का इस्तेमाल भारतीय परमाणु हथियारों में नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर भारत का त्रुटिहीन अप्रसार का रिकॉर्ड रहा है और भारत एक आदर्श अंतरराष्ट्रीय नागरिक है.’