पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने कहा है कि भारत और चीन सीमा विवाद को जल्द हल कर सकते हैं क्योंकि दोनों सरकारों के पास किसी समझौते पर पहुंचने के लिए मजबूत जनादेश है और इस मामले में पहले ही काफी काम पूरा हो चुका है.
मेनन ने सोमवार रात ‘भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और भारत-चीन संबंध’ विषय पर संबोधन के बाद पीकिंग विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले तीन दशकों में सीमा में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण रही है और वहां एक गोली भी नहीं चली, लेकिन दोनों देशों में डरावनी कहानियों के साथ भावनाएं उफान पर होती हैं.
चीन के साथ सीमा विवाद को हल करने के लिए विशेष प्रतिनिधि की भूमिका निभा चुके मेनन ने कहा, ‘वहां बहुत सारी डरावनी कहानियां , खासकर इंटरनेट पर हैं. यह वही दुनिया है जहां आज हम रहते हैं. इसलिए हम कहते हैं कि सीमा विवाद को जितना जल्दी हल कर लें, उतना बेहतर रहेगा, क्योंकि विवाद के समाधान का आखिरी माध्यम सीमा का वास्तव में निर्धारण है.’ इस संवाद के दौरान मेनन के साथ उनके साथ सीमा मुद्दे पर लंबे समय तक बातचीत करने वाले पूर्व चीनी वार्ताकार दाई बिंगगो भी उपस्थित थे.
कांग्रेस सरकार के समय चीन के साथ सीमा मुद्दे को हल करने के लिए विशेष प्रतिनिधि रहे मेनन ने कहा, ‘मेरा मानना है कि हम यह कर सकते हैं. क्योंकि दोनों देशों में आज ऐसी सरकार है जिनके पास मजबूत जनादेश है और इसको लेकर बहुत स्पष्ट रणनीतिक विचार है कि वे अपने देशों को कहां लेकर जाना चाहती हैं.’ मेनन के बयान का समर्थन करते हुए दाई ने कहा, ‘निश्चित तौर पर हम इसे रातोंरात हल नहीं कर सकते. पिछले कुछ दशकों से हमले कुछ न कुछ किया है, कुछ जमीन तैयार की है.’
चीन के पूर्व वार्ताकार ने कहा, ‘मेरा मानना है कि जब शर्तें बेहतर होंगी तो आज नहीं तो कल सीमा विवाद का समाधान हो जाएगा. सीमा मुद्दा कुछ हद तक द्विपक्षीय संबंधों में अवरोध है. अगर हम इससे सही ढंग से निपट लेते हैं तो हम परस्पर विश्वास को बढ़ा सकते हैं और द्विपक्षीय संबंधों के अनुकूल माहौल तैयार कर सकते हैं.’
दाई ने कहा, 'हमने इस क्षेत्र को सही ढंग से संभाला है. बीते दशकों में एक गोली नहीं चली और कोई गंभीर तनाव नहीं उपजा. हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ऐसा निरंतर चलता रहे.’ सीमा विवाद की वार्ता से संबंधित रहे इन शीर्ष अधिकारियों का बयान उस वक्त आया है जब कुछ दिनों पहले ही भारत ने एलान किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस वार्ता के लिए भारत के नए विशेष प्रतिनिधि हैं.
भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे को हल करने के लिए अब तक 17 दौर की बातचीत हो चुकी है. अब निकट भविष्य में डोभाल और उनके चीनी समकक्ष यांग जियेची के बीच 18वें दौर की बातचीत होगी. मेनन ‘नॉर्थ पवेलियन’ संवाद में शामिल होने के लिए बीजिंग में हैं. इस संवाद का आयोजन पीकिंग विश्वविद्यालय के रणनीतिक अध्ययन संस्थान की ओर से किया जा रहा है. दोनों तरफ भावनाओं के उफान के बारे में सवाल किए जाने को लेकर मेनन ने कहा कि दोनों देशों को संवाद प्रक्रिया के बारे में खुले होने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘सरकारों ने चीजों को अपने पास तक सीमित रखने की आदत पाल ली है. हमें सीमा पर वास्तविक स्थिति को लेकर और अधिक खुले होने की जरूरत है.’ इससे पहले संवाद के दौरान मेनन ने कहा, ‘भारत-चीन संबंधों के उसकी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सबसे बड़ा अवरोध सीमा मुद्दा बना हुआ है. जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी सीमा विवाद के समधान तक पहुंचने के लिए आगे बढ़ना तार्किक रहेगा.’
-इनपुट भाषा से