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साथ मिलकर तेल की खोज करेंगे भारत और वियतनाम, रक्षा संबंध बढ़ाने पर भी जोर

भारत और वियतनाम ने दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस की खोज पर सहयोग बढ़ाने पर मंगलवार को सहमति जताई है. यह सहमति इस मायने में खास है कि चीन इस ओर अपनी आपत्ति पहले ही दर्ज कर चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वियतनाम के पीएम नुएन तन जुग के साथ बातचीत के बाद कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम के साथ संबंध भारत के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वियतनाम के पीएम नुएन तन जुग के साथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वियतनाम के पीएम नुएन तन जुग के साथ

भारत और वियतनाम ने दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस की खोज पर सहयोग बढ़ाने पर मंगलवार को सहमति जताई है. यह सहमति इस मायने में खास है कि चीन इस ओर अपनी आपत्ति पहले ही दर्ज कर चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वियतनाम के पीएम नुएन तन जुग के साथ बातचीत के बाद कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम के साथ संबंध भारत के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं.

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दोनों पक्षों ने कुल सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और पेट्रोवियतनाम के बीच वियतनाम में नए तेल और गैस ब्लॉकों की खोज के लिए हुआ समझौता भी शामिल है. वियतनाम ने पहले ही भारत को दक्षिण चीन सागर में पांच तेल ब्लॉकों में तेल की खोज का प्रस्ताव दिया था.

द्विपक्षीय बातचीत के बाद मीडिया के सामने आए मोदी ने कहा, 'हमारी सरकार ने सत्ता संभालने के साथ ही एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपने संबंध बढ़ाने पर जोर दिया. एशिया प्रशांत क्षेत्र भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि वियतनाम हमारे प्रयासों के सबसे अग्रिम मोर्चे पर है.'

रक्षा सहयोग पर भी सहमत
भारत और वियतनाम रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं. भारत पहले ही वियतनाम को 10 करोड़ डॉलर का ऋण पेश कर चुका है और चार नौसैन्य गस्ती पोत की बिक्री की भी पेश कर चुका है. मोदी ने कहा कि भारत वियतनाम के रक्षा और सुरक्षा बलों के आधुनिकीकरण के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम, संयुक्त अभ्यास और रक्षा उपकरणों में सहयोग शामिल हैं.

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वियतनामी प्रधानमंत्री जुंग ने कहा कि उनका देश भारत के पूर्वोन्मुखी नीति का समर्थन करता है और इस क्षेत्र में व दुनिया में भारत की बड़ी भूमिका का समर्थन करता है. जुंग ने कहा कि दोनों पक्ष समुद्री स्थिरता और समुद्री मार्गों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए दृढ़ हैं, खासतौर से दक्षिण चीन सागर में.

गौरतलब है कि वियतनाम और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर में समुद्री अधिकारों को लेकर विवाद है. बीजिंग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है और वियतनाम भी ऐसा ही दावा करता है. जुंग ने कहा, 'वियतनाम ने पूर्व सागर के मुद्दे भारत के रुख और इस समुद्री क्षेत्र में वियतनाम के साथ तेल और गैस खोज व उत्खनन में लगतार सहयोग की प्रशंसा करता है.' वियतनाम दक्षिण चीन सागर को पूर्व सागर कहकर संबोधित करता है.

2020 तक 15 अरब डॉलर का आर्थिक सहयोग
दोनों पक्षों की ओर से जारी संयुक्त बयान में चीन के एक परोक्ष संदर्भ में कहा गया है कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि पूर्व सागर/दक्षिण चीन सागर में नौवहन की आजादी में किसी तरह की बाधा नहीं होनी चाहिए और संबंधित पक्षों से इस संबंध में संयम बरतने, धमकी देने या बल प्रयोग से बाज आने और विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के मान्य सिद्धांतों के अनुरूप सुलझाने का आह्वान किया गया है.

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दोनों पक्षों ने मौजूदा आठ अरब डॉलर के आर्थिक संबंधों को 2020 तक 15 अरब डॉलर तक ले जाने पर भी सहमति जताई है. दोनों शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा उपयोग में सहयोग करने और अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग की संभावना तलाशने पर भी सहमत हुए हैं. जुंग ने मोदी को वियतनाम दौरे का निमंत्रण दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. दौरे की तारीखें बाद में तय की जाएंगी.

नालंदा विश्वविद्याल को लेकर भी समझौता
दोनों देशों के बीच जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, उनमें नालंदा विश्वविद्यालय के विकास पर समझौता, माई सन में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर और कुआंग नाम प्रांत में स्थित एक विश्व धरोहर स्थल के जीर्णोद्धार पर एमओयू और टेलीकम्युनिकेशंस यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी भाषा व सूचना प्रौद्यौगिकी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने पर एक एमओयू शामिल हैं.

जुंग का दो दिवसीय भारत दौरा सोमवार को बिहार के बोध गया से शुरू हुआ था. वहां उन्होंने महाबोधि मंदिर में प्रार्थना की थी.

-इनपुट IANS से

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