प्राचीन समृद्ध संस्कृति और सभ्यता से खुद को जोड़े रखने वाले विश्व शक्ति के रूप में उभरते भारत की तस्वीर घने कोहरे के बावजूद निकली गणतंत्र दिवस की परेड में साफ नजर आयी.
विजय चौक से ऐतिहासिक लाल किले तक परंपरागत परेड में विभिन्न झांकियों और बच्चों द्वारा पेश अलग अलग राज्यों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारत की अनेकता में एकता पिरोने वाली संस्कृति दिखी.
वहीं, ‘अर्जुन’ युद्धक टैंक, ‘स्मर्क’ बहुप्रक्षेपी रॉकेट प्रणाली, बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, डीआरडीओ निर्मित ‘तेजस’ लड़ाकू विमान, ‘अग्नि-3’, मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल, सतह से सतह पर मार करने वाली ‘शौर्य’ मिसाइल और ‘रोहिणी’ राडारों के प्रदर्शन के जरिये देश ने उभरती विश्व शक्ति के रूप में अपना परिचय दिया.
इस बार की परेड में खेल शक्ति के रूप में भारत के उभरने का प्रयास भी नजर आया. देश का सिर उंचा करने वाले खिलाड़ियों ने भी राष्ट्रीय राजधानी में इस वर्ष होने जा रहे राष्ट्रमंडल खेलों के मद्देनजर परेड में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
युवा एवं खेल मंत्रालय से जुड़ी झांकी के साथ ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह, ‘उड़न परी’ पी. टी. उषा, बॉक्सर विजेंदर सिंह, कुश्ती खिलाड़ी सुशील कुमार, भारोत्तोलक के. मल्लेश्वरी, बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद के अलावा हॉकी टीम के पूर्व कप्तान अजीत पाल सिंह और जफर इकबाल, निशानेबाज समरेश जंग और तैराक खजान सिंह ने भी विजय चौक से लाल किले का सफर तय कर खेलों को प्रोत्साहन देना आश्वस्त कराया.
राजपथ पर उमड़े जन सैलाब के बीच वायु सेना का दस्ता ‘स्पेश फ्लाइट’ की धुन पर आगे बढ़ रहा था. इनके बीच युद्धक विमानों को प्रतीक के तौर पर भी पेश किया गया. परेड के दौरान डीआरडीओ के हल्का लड़ाकू विमान तेजस, अग्नि.तीन मिसाइल, सतह से सतह तक मार करने वाली शौर्य मिसाइल और रोहिणी रडार का भी प्रदर्शन किया गया.
राजपथ पर परेड में शामिल अन्य दस्तों में सीमा सुरक्षा बलों को उंट दस्ता, असम राइफल्स, तटरक्षक, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, आरपीएफ, दिल्ली पुलिस, एनसीसी और एनएसएस का दस्ता शामिल था.
{mospagebreak}देश के सैन्य और पुलिस बलों की ओर से प्रदर्शन के बाद 13 राज्यों और आठ मंत्रालयों से जुड़ी 21 झांकियां पेश की गई जिसमें देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को पेश किया गया.
राजस्थान की ओर से जयपुर स्थित अत्याधुनिक उपकरणों से लैस जंतर मंतर खगोलीय वेधशाला की झांकी पेश की जबकि मणिपुर ने मेटीइस जनजाति की पारंपरिक नौका दौड़ हियांग तनाबा को पेश किया.
परेड के दौरान बिहार की ओर से खूबसूरत भागलपुरी रेशम उत्पदान से जुड़ी झांकी पेश की गई। इसमें भागलपुर के बुनकरों और रेशम तैयार करने की प्रक्रिया से जुड़ी झांकी भागलपुर की लोक संस्कृति: रेशम उद्योग के माध्यम से पेश की गई.
महाराष्ट्र की झांकी का विषय वहां के विश्वविख्यात अनूठे ‘डब्बावाला’ थे. ये डब्बावाले मुंबई में दफ्तर-दफ्तर जा कर कामकाजी लोगों को उनके घर का खाना पहुंचाते हैं. त्रिपुरा की झांकी में ‘सुरों के स्वामी’ एस डी बर्मन द्वारा संगीत जगत को किए गए योगदान को दिखाया गया.
केरल की झांकी देवी काली पदायानी को समर्पित रही, तो उत्तराखंड की झांकी में समुद्र-मंथन नजर आया. संस्कृति विभाग और संगीत नाटक अकादमी की झांकी में भारतीय संगीत की अति समृद्ध परंपराओं को दिखाया गया.
हमेशा की तरह इस बार भी बड़े पैमाने पर स्कूली बच्चों ने परेड में हिस्सा लिया. इनमें राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वाले बच्चे शामिल थे. परेड का समापन उसके सबसे रोमांचकारी फ्लाई-पास्ट से हुआ. इसमें एक आईएल-78, दो एनएन-32, दो डॉनियर्स, एक अवाक्स, दो सुखोई-3 एमकेआई और पांच जगुआर ने हिस्सा लिया.