भारत ने नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है. भारत ने नेपाल से कहा है कि वह पहले अपने यहां के हालात दुरुस्त करे.
इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने नेपाल में बढ़ती भारत विरोधी भावनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने कहा, 'हम यह स्वीकार करते हैं कि भारत विरोधी भावना में बढ़ोतरी हुई है और यह कुछ ऐसा है, जिसे लेकर हम गंभीर रूप से चिंतित हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है. लेकिन इसके लिए कौन जिम्मेदार है...इस भारत विरोधी भावना को किसने भड़काया है.'
नेपाल में अशांति के चलते बाधा
विकास स्वरूप ने कहा कि नेपाल में अशांति के चलते भारतीय सामान वहां नहीं पहुंच पा रहा है. प्रवक्ता ने कहा, 'इसके लिए पूरा दोष पूरी तरह से नेपाली नेतृत्व पर है और हम उम्मीद करते हैं कि वे इसके लिए कुछ करें, ताकि नेपाल और भारत के बीच पारंपरिक मित्रता पहले जैसी जारी रहे.'
उन्होंने नेपाल के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि भारत उसे रोक रहा है. उन्होंने कहा कि भारत की ओर से कोई भी आधिकारिक या गैर आधिकारिक नाकेबंदी नहीं है और बाधा नेपाल की ओर से निकास व प्रवेश स्थलों पर है. उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह से प्रतिदिन मात्र 250 से 300 ट्रक नेपाल में प्रवेश कर पा रहे हैं, जबकि 5033 कार्गो वाहन वहां प्रवेश के इंतजार में है. उन्होंने इसके साथ ही उन घटनाओं का उल्लेख किया, जिसमें भारतीय ट्रकों और अन्य व्यापारियों को हिंसा का सामना करना पड़ा.
समस्या नेपाल की पैदा की हुई
स्वरूप ने कहा, 'नेपाल में समस्या उनकी निर्मित है, इसीलिए हम उनसे आग्रह कर रहे हैं कि वे अपने लोगों तक पहुंच बनाएं. आप अपने घर को दुरुस्त करें.' उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि भारत ने उनके संविधान को लेकर कोई शर्त रखी है. उन्होंने कहा कि भारत केवल यह कह रहा है कि कानून व्यापक आधारित होना चाहिए, जो उसकी जनसंख्या का ध्यान रखे.
Nepal has to set its house in order and has to reach out to its own people in a spirit of reconciliation (cntd) :Vikas Swarup, MEA
— ANI (@ANI_news) October 8, 2015
...so that the border obstruction which is currently obstructing the movement of traffic from India to Nepal is eased at the earliest: MEA
— ANI (@ANI_news) October 8, 2015
We do recognize that there is a growth of anti-India sentiment in Nepal and this is something we are seriously concerned about: Vikas Swarup
— ANI (@ANI_news) October 8, 2015
नेपाल की इस धमकी पर कि यदि भारत पेट्रोलियम और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति सामान्य नहीं करता, तो वह चीन से सम्पर्क कर सकता है, प्रवक्ता ने कहा कि भारत का मानना है कि केवल बातचीत से ही आगे का रास्ता निकल सकता है. उन्होंने कहा, 'यदि वे किसी और देश से सम्पर्क करते हैं, उनका स्वागत है. वे स्वतंत्र संप्रभु देश हैं और वे अपने निर्णय कर सकते हैं. हम उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन भारत के साथ उनका जिस तरह का रोटी-बेटी संबंध हैं, कोई भी अन्य देश इसका स्थान नहीं ले सकता.'
इनपुट: भाषा