भारतीय डिप्लोमेट देवयानी खोबरागडे़ से बदसलूकी मामले में अमेरिका के रुख में कोई ठोस बदलाव नजर नहीं आ रहा है. दूसरी ओर, भारत ने संयुक्त राष्ट्र को चिट्ठी लिखकर बता दिया है कि वह अब देवयानी को सीनियर डिप्लोमेट के सारे अधिकार दे.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि यहां के भारतीय मिशन में बतौर महावाणिज्य दूत के तौर पर भेजी गईं देवयानी खोबरागड़े को राजनयिक छूट और डिप्लोमेट के सभी विशेषाधिकार दिए जाएं.
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने 18-19 दिसंबर के आसपास मून को पत्र लिखा. चिट्ठी के साथ उन्होंने दूसरे दस्तावेज भी भेजे. मुखर्जी ने बताया, 'हमने मून को सूचित किया कि अब यहां हमारी एक नई राजनयिक हैं, जिन्हें महावाणिज्य दूत बनाया गया है. हमने यह भी लिखा है कि हम चाहेंगे कि उन्हें एक राजनयिक के तौर पर विशेषाधिकार और छूट मिले. हमने यह भी बताया कि हमारे प्रतिनिधिमंडल की सूची में देवयानी का नाम कहां होगा.' संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि कर दी कि उसे देवयानी के बारे में भारत से आधिकारिक अधिसूचना हासिल हुई है.
देवयानी को संयुक्त राष्ट्र स्थित भारतीय स्थायी मिशन में महावाणिज्य दूत बनाया गया है. अमेरिका में वीजा संबंधी जालसाजी के मामले में गिरफ्तार की गई देवयानी इससे पहले न्यूयॉर्क में भारत की उप महावाणिज्य दूत थीं.
वीजा फर्जीवाड़ा से जुड़ा मामला
गौरतलब है कि 1999 बैच की आईएफएस अधिकारी खोबरागड़े को 12 दिसंबर को वीजा धोखाधड़ी के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. 39 वर्षीया उप महावाणिज्यदूत देवयानी को अपनी नौकरानी को कम तनख्वाह देने का आरोप लगाते हुए पिछले हफ्ते न्यूयॉर्क में गिरफ्तार कर लिया गया था. उनकी कपड़े उतारकर गहन तलाशी ली गई और डीएनए जांच के लिए नमूना देने को विवश किया गया था. साथ ही 250,000 डॉलर के मुचलके पर रिहाई से पहले जेल में उन्हें अपराधियों के बीच रखा गया.