मंहगाई के खिलाफ आज विपक्षी दलों के आह्वाहन पर आयोजित भारत बंद के कारण विभिन्न राज्यों में औद्योगिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों में व्यवधान उत्पन्न हुआ. उद्योग जगत का अनुमान है कि 12 घंटे के इस बंद से अर्थव्यवस्था को 13,000 करोड़ रुपए तक का आर्थिक नुकसान हुआ.
उद्योग मंडल फिक्की का अनुमान है कि बंद से 13,000 करोड़ रुपए के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का नुकसान हुआ.
फिक्की ने राज्यों के अपने कार्यालयों और राज्यस्तरीय उद्योग संघों से मिली रपटों के आधार पर शाम को जारी एक बयान में कहा,‘ आज का भारत बंद तमिलनाडु और राजस्थान को छोड़ कर अपेक्षाकृत व्यापक रहा.... अनुमान है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद को उत्पादन संसाधनों की लागत के आधार पर करीब 13,000 करोड़ रुपए की हानि हुई है.’
संगठन के बयान में कहा गया है कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात तथा आंध्रप्रदेश जैसे औद्योगिक राज्यों में बंद के कारण औद्योगिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं. बैंगलोर में अधिकतर औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद रहे तथा अतिकतर बहुराष्ट्रीय और स्थानीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों ने बंद को देखते हुए आज अवकाश घोषित कर दिया था.
मुंबई और कोलकता में बंद का सबसे अधिक असर रहा. मुंबई में भी बहुत सी बड़ी कंपनियों ने आज छुट्टी घोषित कर दी थी. फिक्की का कहना है मध्यप्रदेश में भी कारोबार प्रभावित हुआ. एक अन्य उद्योगमंडल एसोचैम ने बंद के कारण 10,000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया है जबकि भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अनुसार यह नुकसान 3,000 करोड़ रुपए के बराबर है.
क्षेत्रीय उद्योग मंडल पीएचडी ने कहा कि बंद से राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के उद्योगों पर असर पड़ा. बंद के दौरान मुंबई, दिल्ली और प्रमुख किराना मंडियों में थोक कारोबार बंद रहे.
आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा कि बंद में छह लाख वाणिज्यिक वाहन सड़क पर नहीं निकले.
बांबे शेयर बाजार में कारोबार सामान्य से 52 प्रतिशत कम रहा. आज बाजार में 2,857 करोड़ रुपए के शेयरों का कारोबार हुआ जबकि सामान्य दिनों में वहां 6,000 करोड़ रुपए का कारोबार होता है.