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भारत लड़ाकू विमानों का निर्यात करने में सक्षम: DRDO

शस्त्र निर्यात बढ़ाने की जरूरत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जोर दिये जाने के साथ ही डीआरडीओ ने कहा है कि भारत लड़ाकू विमान और प्रक्षेपास्त्रों की बिक्री कर सकता है जिनकी उत्पादन लागत चीन जैसे देशों द्वारा बेचे जा रहे हथियारों से ‘बहुत कम’ होगी.रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख अविनाश चंदर ने बताया कि शस्त्र प्रणाली के निर्यात के लिए देश को एक ‘नीतिगत व्यवस्था’ (पॉलिसी मैकेनिज्म) की जरूरत है और रक्षा अनुसंधान एजेंसी ने मित्र देशों को तय समय में हथियारों की बिक्री के लिए ‘एकल खिड़की निकासी’ का सुझाव दिया है.

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शस्त्र निर्यात बढ़ाने की जरूरत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जोर दिये जाने के साथ ही डीआरडीओ ने कहा है कि भारत लड़ाकू विमान और प्रक्षेपास्त्रों की बिक्री कर सकता है जिनकी उत्पादन लागत चीन जैसे देशों द्वारा बेचे जा रहे हथियारों से ‘बहुत कम’ होगी. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख अविनाश चंदर ने बताया कि शस्त्र प्रणाली के निर्यात के लिए देश को एक ‘नीतिगत व्यवस्था’ (पॉलिसी मैकेनिज्म) की जरूरत है और रक्षा अनुसंधान एजेंसी ने मित्र देशों को तय समय में हथियारों की बिक्री के लिए ‘एकल खिड़की निकासी’ का सुझाव दिया है.

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उन्होंने बताया ‘हमारे पास उपकरणों की सूची है जिसमें हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’, ‘आकाश’ वायु रक्षा प्रणाली, ‘प्रहार’ प्रक्षेपास्त्र और ‘ब्रह्मोस’ क्रूज प्रक्षेपास्त्र सहित अन्य कई प्रणालियां है जिनका निर्यात किया जा सकता है.’ चंदर ने कहा ‘हम शस्त्र प्रणालियों के निर्यात के लिए संभावनाएं तथा एक नीतिगत व्यवस्था विकसित करने की प्रक्रिया पर चर्चा कर रहे हैं.’ डीआरडीओ के अध्यक्ष से प्रधानमंत्री की इस हालिया टिप्पणी के बारे में पूछा गया था कि भारत को अपने लिये हथियारों का उत्पादन करना चाहिए और अन्य देशों को उनकी आपूर्ति भी करनी चाहिए.

तेजस बहुभूमिका वाला, एक इंजनयुक्त, कम वजन का लड़ाकू विमान है. आकाश 25 किमी की रेंज वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. प्रहार 150 किमी की मारक क्षमता वाली प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है जबकि ब्रह्मोस 290 किमी की मारक क्षमता वाली एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है.

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भारत से हथियार खरीदने वाले देशों को कीमतों में किफायत के बारे में पूछने पर चंदर ने कहा ‘भारतीय हथियारों की कीमत किफायती है.’ चंदर ने कहा ‘हमारी उत्पादन लागत बहुत कम है. निर्यात की दर क्या होगी, यह सरकार का नीतिगत फैसला होगा.’

डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि शस्त्र निर्यात के कारोबार में जाने के लिए देश को इस बारे में एक रूपरेखा की जरूरत है कि क्या निर्यात किया जा सकता है. इसका दुरुपयोग न करना, इसे खरीदने वाले देश पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि हथियारों के निर्यात के संबंध में हमेशा ही कई मुद्दे होते हैं जिनके समाधान की जरूरत है. हमारा सुझाव है कि तय समय में शस्त्र निर्यात के लिए ‘एकल खिड़की निकासी प्रणाली’ की व्यवस्था होनी चाहिए.’ चंदर ने बताया कि आकाश प्रक्षेपास्त्र प्रणाली में कई देशों ने दिलचस्पी दिखाई है. आकाश को सेना में शामिल करने की तैयारी की जा रही है.

उन्होंने कहा कि स्वदेश में विकसित एलसीए तेजस लड़ाकू विमान का प्रतिस्पर्धात्मक दर पर निर्यात करने की गुंजाइश है. भारत अपनी शस्त्र संबंधी जरूरतों के 65 फीसदी से अधिक हिस्से के आयात पर निर्भर है. उसे अंतरराष्ट्रीय विचार समूह शस्त्रों का सबसे बड़ा आयातक कहते हैं.

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