भारत और चीन के बीच लद्दाख के पास बॉर्डर पर चल रहे तनाव में अब नरमी दिखने लगी है. दोनों देशों की सेनाओं ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास अपने सैनिकों और सेना के साजो-सामान की मौजूदगी को कम करने का फैसला किया है. जिसका असर सोमवार को दिखा, जब चीन ने गलवान घाटी में अपनी सेना को एक से दो किमी. तक पीछे हटा लिया. दोनों देशों के बीच लद्दाख में ये विवाद करीब दो महीने तक चला, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए. अब दोनों देशों ने ऊपरी लेवल पर बात करके इस मामले को सुलझाया है. दोनों देशों में गलवान घाटी में तनाव कम करने के लिए क्या बात हुई है, पूरा मामला समझें...
जब नहीं बनी बात, तो अजित डोभाल ने संभाला मोर्चा!
मई की शुरुआत में लद्दाख में गलवान घाटी और पैंगोंग झील के पास चीनी सेना ने अपना जमावड़ा करना शुरू किया था. उसके बाद से ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई राउंड की बात हुई, हर बार सेना को पीछे हटाने पर चर्चा की गई. कई नियम तय हुए और फेज़ के हिसाब से सैनिकों को पीछे लाना चाहा. लेकिन बात नहीं बन पाई, जिसके बाद भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मोर्चा संभाला. अजित डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री और एनएसए वांग यी से फोन पर बात की, करीब दो घंटे की चर्चा में गलवान घाटी में तनाव कम करना तय हुआ.
भारत की ओर से क्या बयान दिया गया?
इस बातचीत के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें दोनों देशों के बीच क्या समझौता हुआ है उसके बारे में बताया गया. विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि दोनों देशों ने भारत और चीन बॉर्डर पर शांति स्थापित करने की बात कही है, ताकि दोनों देशों के बीच जारी मतभेद मनभेद ना बन सकें. इसी के साथ तय हुआ है कि दोनों देशों की सेनाएं LAC से अपने सैनिकों को हटाएंगी. इसके तहत पूरे बॉर्डर से फेज़ के अनुसार, सैनिकों की संख्या को कम किया जाएगा. इसके अलावा दोनों देशों की सेनाएं इस बात की कोशिश करेंगी कि गलवान घाटी जैसी स्थिति भविष्य में ना बन पाए.
गलवान के जिस 800 मीटर हिस्से पर चीन कर रहा था दावा, उस पर 61 साल पहले बनी थी सहमति
भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान
चीन की ओर से क्या बयान दिया गया?
बॉर्डर से सैनिकों की संख्या कम करने पर चीन की ओर से भी बयान जारी किया गया. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लियान ने कहा कि दोनों देशों की सेनाओं ने तय किया है कि अग्रिम मोर्चे पर शांति स्थापित करने के लिए सैनिकों की संख्या को कम किया जाएगा. दोनों देशों के बीच 30 जून की बैठक में जो फैसला हुआ था, उसके अनुसार फेज दर फेज सैनिकों की संख्या को घटाया जाएगा. बता दें कि इसी के तहत चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी से पीछे कदम हटाएं हैं, चीनी सेना अब करीब एक-दो किमी. पीछे गई है.
किस फॉर्मूले से घटेगी सेना की मौजूदगी?
भारत और चीन के बीच जब से विवाद शुरू हुआ है, तभी से ही सैन्य लेवल पर बात जारी है. इसी कड़ी में 30 जून को कॉर्प्स कमांडर लेवल की चर्चा हुई थी, जिसमें सेना की मौजूदगी कम करने पर बात की गई थी. इसी के तहत तय हुआ था कि LAC पर गलवान घाटी से चीनी सेना पीछे हटेगी. इसी के तहत सोमवार को चीनी सेना 1-2 किमी. तक पीछे हटी. इस दौरान दोनों देशों के बीच तय हुआ कि इस जगह पर एक दो किमी. का बफर जोन बनाया जाएगा. बफर जोन इसलिए बनाया जा रहा है ताकि पीछे हटने के दौरान सैनिक आमने-सामने ना आएं. इसके अलावा 72 घंटे की एक खिड़की रखी गई है, ताकि वेरिफिकेशन किया जा सके.
LAC पर चीनी सेना ने समेटे टेंट, गलवान घाटी से 1 KM. तक पीछे हटे सैनिक
किस बात पर था चीनी सेना से विवाद?
दरअसल, मई के पहले हफ्ते में चीनी सेना ने पैंगोंग झील, गलवान घाटी के पास अपनी मौजूदगी बढ़ानी शुरू कर दी थी. उसी के बाद से ही दोनों देशों के सेनाएं बॉर्डर पर आमने-सामने थीं. इस बीच सैन्य लेवल पर बातचीत का सिलसिला चल रहा था और 6 जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच पीछे हटने पर बात हुई. लेकिन 15 जून की रात को चीनी सैनिकों ने बात करने गई भारतीय सेना की टुकड़ी पर हमला कर दिया. इसमें भारतीय सेना के कुल 20 जवान शहीद हो गए, झड़प में चीनी सेना को भी नुकसान हुआ लेकिन चीन ने इस बात को कबूल नहीं किया. इसी के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बन गई थी.
बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक लेह का दौरा किया था, जहां उन्होंने घायल जवानों से मुलाकात की थी. साथ ही चीन को कड़ा संदेश दिया था. पीएम मोदी ने कहा था कि अब विस्तारवादी युग का अंत हो चुका है और विकासवादी युग की शुरुआत है. तनाव के बीच पीएम मोदी के लेह पहुंचने को एक कड़ा संदेश माना गया, जो चीन के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए था.
डोभाल ने दो घंटे फोन पर की बात और पीछे हटने को राजी हो गया चीन
क्या खत्म हो गया भारत और चीन के बीच विवाद?
गलवान घाटी समेत बॉर्डर के अन्य इलाकों में पिछले दिनों तनाव काफी अधिक हो गया था. ऐसे में शीर्ष स्तर पर जब बात हुई है तो ऐसे में देखा जा सकता है कि सैनिकों की संख्या घटने से तनाव कम होगा. हालांकि, चीन का जैसा इतिहास रहा है उसको देखते हुए पूरी तरह से उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. ऐसे में भारत ने अभी भी लद्दाख के आसपास सेना की मौजूदगी अधिक रखी हुई है और किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयारी की हुई है.