भारत की ताकत और रणनीति ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन को अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया है. इस बड़ी खबर के बीच आजतक उस जगह पहुंचा है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दौरा किया था. लेह से 35 किलोमीटर दूर नीमू में आजतक की टीम पहुंची.
एलएसी के पास सामरिक पुल और सड़कों को बनाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है. सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ तेजी से सामरिक सड़कों और पुल को बना रहा है. 3 साल में 40 पुलों पर काम चल रहा है, जिसमें से 20 पुल बनकर तैयार हैं. 2022 तक 66 सामरिक सड़कें बनाने का भी लक्ष्य है.
आजतक की टीम उस जगह भी पहुंची, जहां पुराने पुल की जगह नए मजबूत पुल बनाए जा रहे है, जिससे सेना के भारी भरकम ट्रक और टैंक आसानी से गुजर सके. इसके साथ ही आजतक की टीम दुनिया की सबसे ऊंची पक्की रोड खरदुंग ला भी पहुंची. यह हाईवे सियाचिन और दौलत बेग ओल्डी को जोड़ती है.
दरअसल, भारत और चीन के बीच टकराव की सबसे बड़ी वजह भारत की ओर से तेजी से सामरिक सड़कों और पुलों का निर्माण करना है. चीन घबराया हुआ है कि भारतीय सेना इतनी तेजी से सामरिक सड़कें और पुल क्यों बना रही है. सड़क-पुल निर्माण के काम में बीआरओ अहम भूमिका निभा रहा है.
आजतक की टीम नीमू-दारका सड़क पर भी पहुंची. इस सड़क का तेजी से निर्माण किया जा रहा है. सामरिक रूप से यह सड़क काफी अहम है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी परियोजना में से एक माना जाता है. इस नई सड़क के बन जाने से सियाचिन तक भारतीय सैनिकों की आवाजाही बिना पाकिस्तान के नजर में आए हो सकेगी.
इसके बाद आजतक की टीम नीमू-खरदुंग ला के उस पुल पर पहुंची, जिसका बीआरओ ने रिकॉर्ड तीन महीने में काम पूरा किया है. यहां पर पुराना लोहे का पुल था, जिसे हटाकर नया पुल बनाया गया है, ताकि सेना के भारी वाहनों को सियाचिन या दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचने में कोई दिक्कत न हो.