लद्दाख के पास गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष और इसमें गई भारत के 20 जवानों की जान के बाद तनाव बढ़ गया है. पूरे देश में इस घटना के बाद गुस्सा है और जिसका असर अब सरकार के लेवल पर भी दिख रहा है. चालबाज चीन कई मौकों पर देश को धोखा दे चुका है, ऐसे में सरकार हो या सेना कोई भी किसी भी तरह की ढील नहीं बरतना चाहता है. ऐसे में चीन को इस बार करारा जवाब देने के लिए चौतरफा वार किया जा रहा है.
देश के बीस जवानों के शहीद होने के बाद चीन को लेकर देश में किस तरह की हलचल तेज़ हुई है, एक नज़र डालें..
सेना का अलर्ट लेवल बढ़ाया गया
गलवान घाटी में समझौते के उलट जब चीनी सैनिकों ने वापस जाने से इनकार कर दिया तो दोनों देशों के सैनिकों में संघर्ष हुआ. इसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए, वहीं चीन को भी भारी नुकसान हुआ. इसके बाद कुछ शांति तो हुई लेकिन अभी चीन पूरी तरह से पीछे नहीं हटा है.
इसके बाद सेना पूरी तरह से चौकन्नी हो गई है, सिर्फ लद्दाख बॉर्डर के पास नहीं. बल्कि उत्तराखंड में चीन से सटी सीमा समेत पूरी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अब सेना के अलर्ट को बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा बड़ी संख्या में सेना के ट्रक लद्दाख की ओर बढ़ते हुए देखे गए हैं.
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लद्दाख में सड़क निर्माण में तेज़ी
इसी के साथ-साथ लद्दाख में भारत जो सड़क निर्माण कर रहा था, उसकी रफ्तार को भी बढ़ा दिया गया है. चीन को भारत के इसी सड़क निर्माण से दिक्कत है, क्योंकि इसके बाद भारतीय सेना का बॉर्डर तक जाना आसान हो जाएगा. जो चीन नहीं चाहता है.
लेकिन भारत ने तनाव के बावजूद सड़क निर्माण को ना सिर्फ चालू रखने का फैसला लिया है, बल्कि इस काम में तेजी लाना तय किया है. इसके लिए करीब 1500 मज़दूर लद्दाख के लिए रवाना भी हो चुके हैं. लॉकडाउन के वक्त कुछ मज़दूर वापस आ गए थे, लेकिन अब इन्हें वापस भेजा गया है.
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प्रधानमंत्री का सख्त रुख, विदेश मंत्रालय का बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने संबोधन में शहीदों को श्रद्धांजलि दी, इसी दौरान उन्होंने चीन को कड़ा संदेश भी दिया. पीएम ने कहा कि भारत किसी को उकसाता नहीं है, लेकिन अगर उकसाकर हमारे जवानों को इस तरह मारा जाएगा तो भारत समुचित जवाब भी देना जानता है. साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि इन जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी.
प्रधानमंत्री के बयान के कुछ देर बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से फोन पर बात की. इस दौरान भारत ने गलवान मामले को लेकर दो टूक बात कही कि चीन की एक साजिश थी और पूरी तैयारी के साथ इसको अंजाम दिया गया. वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय ने जब गलवान को अपना बताया तो भारत ने देर रात बयान जारी कर कहा कि इस तरह की बेबुनियाद बातें समझौते को कमजोर करेंगी.
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आर्थिक मोर्चे पर चीन को पटकनी
जवानों की शहादत के बाद देश में चीन के खिलाफ माहौल बना है, कई शहरों में लोग सड़कों पर भी उतरे हैं. इस बीच सरकार ने भी अब चीन को आर्थिक मोर्चे पर चोट करने का मन बना लिया है. बुधवार को भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने बीएसएनएल को आदेश दिया कि वह अपने विभाग में मेड इन चाइना सामान की उपयोगिता को कम करें. 4जी के लिए जो टेंडर जारी किए गए हैं, उन्हें रद्द करें और फिर से जारी करें ताकि चीनी कंपनियां इसका हिस्सा ना बन सकें.
इसके अलावा दिल्ली से मेरठ के लिए जो रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम शुरू किया जाना है, उसका एक हिस्सा बनाने के लिए बीते दिनों चीनी कंपनी को ठेका दिया गया था. लेकिन अब मामला गंभीर हो गया है और दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है तब इसपर विचार किया जा रहा है और चीनी कंपनी से ठेका रद्द किया जा सकता है.
ऑस्ट्रेलिया की सख्ती, अमेरिका का एक्शन
भारत की ओर से सिर्फ सैन्य या आर्थिक लेवल पर ही नहीं बल्कि कूटनीतिक तौर पर भी चीन को घेरने की तैयारी की जा रही है. माना जा रहा है कि विदेश मंत्रालय ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी मित्र देशों को दी है. इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हाल ही में एक आदेश को पारित किया है, जिसमें चीनी अधिकारियों पर सैंक्शन लगाया जा सकता है.
ये सैंक्शन चीन के द्वारा उग्वर मुसलमानों के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों को लेकर होगा, जिसकी आलोचना दुनियाभर में होती है. इसके अलावा अमेरिका ने कहा है कि भारत-चीन के बीच जारी गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए है.
अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया ने इस मामले में भारत का पूर्ण रूप से समर्थन किया है. ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फरेल ने बयान दिया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नियम और तकाजे को लेकर स्थापित व्यवस्था का भारत और ऑस्ट्रेलिया पालन कर रहे हैं लेकिन चीन ऐसा नहीं कर रहा.