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भारत को कैसे घेरे हुए चीन, पड़ोसी देशों को अपने कब्जे में किए हुए हैं शी जिनपिंग

चीन अपने आधिपत्य को भारत के पड़ोसी देश में कायम करने के लिए लंबे समय से सक्रिय है. पाकिस्तान, श्रीलंका से लेकर बांग्लादेश और म्यामांर ही नहीं बल्कि भारत का अभिन्‍न मित्र देश नेपाल में भी चीन अपनी जड़ें जमाने में जुटा हुआ है. इस कूटनीतिक रणनीति के तहत चीन काम कर रहा है.

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पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और शी जिनपिंग
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और शी जिनपिंग

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  • चीन अपने वन बेल्ट, वन रोड परियोजना को फैला रहा
  • भारत के पड़ोसी देश के बंदरगाहों पर चीन का कब्जा

भारत-चीन के संबंध में एक बार फिर खटास आ गई है, क्योंकि सोमवार की रात को लद्दाख में गलवान घाटी के पास दोनों देश के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. इसमें भारतीय सेना के कमांडिंग अफसर समेत 20 जवान शहीद हो गए जबकि, चीनी सेना के 43 सैनिक भी हताहत हुए हैं. ऐसे में भारत-चीन के रिश्ते में एक बार फिर दरार पड़ती दिख रही है.

अंतरराष्ट्रीय मामले के जानकार रहीस सिंह के मुताबिक चीन अपने आधिपत्य को भारत के पड़ोसी देश में कायम करने के लिए लंबे समय से सक्रिय है. पाकिस्तान, श्रीलंका से लेकर बांग्लादेश और म्यामांर ही नहीं बल्कि भारत का अभिन्‍न मित्र देश नेपाल में भी चीन अपनी जड़े जमाने में जुटा हुआ है. भारत को घेरने की नीति के तहत चीन पड़ोसी देशों में विकास के नाम पर अपनी पैठ मजबूत कर रहा है.

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रहीस कहते हैं कि इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर पहले कर्ज देना और फिर उस देश को एक तरह से कब्जे में लेना, इसे 'डेट-ट्रैप डिप्लोमेसी' कहते हैं. ये शब्द चीन के लिए ही इस्तेमाल होता है. चीन दो मकसद के तहत काम कर रहा. पहला इकोनॉमी और दूसरा जियो-स्ट्रैटजी के तहते काम कर रहा है. चीन अपनी इकोनॉमी के जरिए हमारे पड़ोसी देशों में इन्फ्रा प्रोजक्ट में प्रवेश करता है. चीन पहले गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट समझौता करता और फिर उसे बिजनेस टू बिजनेस में तब्दील कर देता है. इसके जरिए वो चीन की कंपनियों को वहां एंट्री कराता और फिर उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले लेता है. इस रणनीति के तहत चीन भारत के दोनों ओर पड़ोसी देशों में पहले एंट्री किया और फिर वहां के बंदरगाहों सहित तमाम प्रोजेक्ट की सुरक्षा के नाम पर अपनी गहरी पैठ जमा लिया है.

चीन का श्रीलंका में एकछत्र राज

रहीस बताते हैं कि चीन ने श्रीलंका में ओबीओआर परियोजना के जरिए इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर अरबों डॉलर का निवेश किया था. श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाहों के विकास के लिए परियोजना थी, लेकिन बाद में बंदरगाह पर अपना आधिपत्य जमा लिया. इतना ही नहीं बंदरगाह के चारों ओर की 1,500 एकड़ जमीन भी चीन ने अपने कब्जे में कर रखा है. श्रीलंका के उत्तरी शहर जाफना में घर बनाने की योजना का काम भी चीन ने किया. श्रीलंका का जो इलाका चीन के कब्जे में है वो भारत से महज 100 मील की दूरी पर है. भारत के लिए इसे सामरिक तौर पर खतरा माना जा रहा है.

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पाकिस्तान में चीन का आधिपत्य

अरब सागर के किनारे पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में चीन ग्वादर पोर्ट का निर्माण चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के तहत कर रहा है और इसे चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट, वन रोड (ओबीओआर) तथा मेरिटाइम सिल्क रोड प्रॉजेक्ट्स के बीच एक कड़ी माना जा रहा है. पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर भी चीन अपना नियंत्रण स्थापित कर चुका है. पाकिस्तान ने ग्वादर पोर्ट और अन्य प्रॉजेक्ट्स के लिए चीन से कम से कम 10 अरब डॉलर का कर्ज ले रखा है.

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उनका कहना है कि सीपेक के तहत चीन से 62 अरब डॉलर का कर्ज लिया हुआ है, लेकिन पाकिस्तान की माली हालत इतनी खराब है कि वह चीन को कर्ज का पैसा चुकाने के स्थिति में नहीं रह गया है. सीपेक के जरिए चीन पाकिस्तान को अपने नियंत्रण में रखेगा, क्योंकि 2022 तक सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्‍तान के ग्वादर में चीन अपने पांच लाख चीनी नागरिकों को बसाने के लिए कॉलोनी बना रहा है. भारत की सीमा से महज 50 किमी की दूरी पर चीन की सेना फ्लैग मार्च करेगी, जो हमारे लिए चिंता का सबब है.

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बांग्लादेश के बंदरगाह पर चीन की पैठ

दिसंबर 2016 में चीन और बांग्लादेश ने वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) को लेकर समझौता किया था. इसे 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (बीआरआई) के नाम से भी जाना जाता है, इसका उद्देश्य एशियाई देशों को चीन द्वारा प्रायोजित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से जोड़ना है. इसके जरिए चीन की नजर बांग्लादेश के पायरा बंदरगाह पर है. बांग्लादेश का पायरा बंदरगाह को विकास करने के लिए चीन की दो कंपनियां चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (सीएचईसी) और चाइना स्टेट कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग कंपनी (सीएससीईसी) का 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर का समझौता है. चीन इस निवेश से श्रीलंका की तरह ही बांग्लादेश की बंदरगाह पर अपना आधिपत्य कायम करना चाहता है.

म्यामांर में चीन की बढ़ी दखल

चीन ने म्यामांर पर कर्ज का बोझ डालकर अपना वर्चस्व पूरी तरह से स्थापित कर लिया है. म्यांमार के रखाइन प्रांत में क्योकप्यू शहर के तट पर चीन पानी के अंदर एक बंदरगाह बना रहा है. चीन-म्यांमार हाई-स्पीड रेल परियोजना या कुनमिंग-क्याउकपू रेलवे का काम भी चल रहा है. माण्‍डले-तिग्यिंग-म्यूज एक्सप्रेसवे परियोजना और क्याउकपू- नेपी ताव राजमार्ग परियोजना के निर्माण भी चीन कर रहा है. चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे (सीएमईसी) को बना रहा है. रोहिंग्या संकट पर म्यांमार की दुनिया भर के देशों ने चौतरफा आलोचना की थी, लेकिन चीन म्यांमार का समर्थन में खड़ा रहा.

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रहीस कहते हैं कि चीन और म्यांमार के बीच काफी कारोबार समझौते हुए हैं. चीन के युन्नात प्रांत में म्यामांर की सीमा के साथ 2010 से लेकर अब तक कई सारे बॉर्डर इकनॉमिक जोन बनाए गए हैं और आर्थिक आधार पर म्यांमार को चीन से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. म्यांमार में वन बेल्ट वन रोड से जोड़ने के साथ ऑयल और गैस पाइपलाइन बिछाने का काम भी चीन कर रहा है.

मालदीव में चीन का जाल

चीन ने मालदीव में अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है. इसमें 83 करोड़ डॉलर की लागत से राजधानी माले में बनने वाला एयरपोर्ट भी शामिल है. मालदीव ने 2016 में 16 द्वीपों को चीनी कंपनियों को लीज पर दिया था. अब चीन इन द्वीपों पर निर्माण कार्य कर रहा है ताकि हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के आसपास होने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार और भारत पर नजर रख सके. मालदीप के एयरपोर्ट की देखभाल का काम भारत की जीएमआर कंपनी कर रही थी, जिसे अब चीन को दे दिया गया है. सिनामले सेतु परियोजना (चीन-मालदीव मैत्री पुल) का काम चीन कंपनी को मिल गया है.

चीन की नेपाल पर नजर

चीन ने नेपाल में भी अपनी पैठ जमा लिया है. नेपाल में चीन कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है. इसमें बुनियादी ढांचों से जुड़ी परियोजनाएं सबसे ज़्यादा हैं, जैसे एयरपोर्ट, रोड, अस्पताल, कॉलेज, मॉल्स रेलवे लाइन. भारत से लगी सीमाओं तक अपनी पहुंच बनाने के लिए चीन नेपाल में रेल और सड़क विस्तार का काम भी शुरू कर दिया है. चीन के केरुंग से काठमांडू तक रेलवे ट्रैक का निर्माण भी काफी अहम है.

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चीन ने साल 2017 में नेपाल के साथ अपनी वन बेल्ट वन रोड परियोजना पर समझौता किया था. चीन ने नेपाल में रसुवा में पनबिजली प्रोजेक्ट शुरू किया है. यह तिब्बत से 32 किलोमीटर दूर है. इसमें चीन ने 950 करोड़ रुपये लगाए हैं. इसी का नतीजा है कि नेपाल अब चीन की भाषा बोलने लगा है और हाल ही में अपनी कैबिनेट से नया नक्शा पास किया है, जिसमें भारत के हिस्से को भी दिखाया गया है.

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