कई तलों वाली बड़ी इमारतों का आर्मी कैम्प्स की तरह इस्तेमाल, मॉडल गांव, सुरंगें, चार लेन वाली सड़क... सब कुछ लाइन ऑफ एक्चुअल (LAC) के पास... चीनी सेना के नए मॉड्यूल... चीन की इन सभी आक्रामक मुद्राओं का जिक्र उन सिक्योरिटी रीव्यूज (रक्षा समीक्षाओं) में हैं जो 2017 के डोकलाम टकराव के बाद की गईं.
चीन पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि लद्दाख में मौजूदा गतिरोध आम पेट्रोलिंग खींचतान का हिस्सा नहीं है बल्कि ये चीन की उस लड़ाकू रणनीति का हिस्सा है जो डोकलाम के बाद उसने अपनाई.
73 दिन का डोकलाम गतिरोध हालिया वर्षों में सबसे गंभीर टकराव था. उसके बाद अब लद्दाख में ऐसी स्थिति बनी. डोकलाम गतिरोध के बाद चीन की गतिविधियां उसके मंसूबों की साफ तस्वीर पेश करती है. गतिरोध भारत-चीन-भूटान के ट्राइजंक्शन पर हुआ था. भूटानी क्षेत्र में चीन के सड़क निर्माण को भारत की ओर से यथास्थिति बदलने की कोशिश के तौर पर देखा गया. आखिरकार सड़क निर्माण रोकना पड़ा.
पिछले महीने की 5 और 6 तारीख को भारतीय और चीनी सेना लद्दाख की विवादास्पद पैंगोंग झील में आमने-सामने आईं जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी.
भारतीय सेना ने पिछले साल पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में एक महीने के अंतर पर दो अहम वॉर गेम्स (सैन्य अभ्यास) किए थे. ये अपनी तरह के पहले अभ्यास थे जो चीन से अपनी युद्ध क्षमताओं का आकलन करने के लिए किए गए. इन्हें एक तरह से चीन की आक्रामक मुद्राओं के जवाब के तौर पर देखा गया. इससे अगले महीनों में चीनी गतिविधियां अधिक आक्रामक और असामान्य रहीं.
चीन के गांव या सेना छावनियों का विस्तार?
चीनी सेना एकीकृत मॉडल गांवों का निर्माण कर रही है जो और कुछ नहीं बल्कि LAC के पास कैंटोनमेंट्स का विस्तार है. उसकी कोशिश यही है कि फ्रंटियर पर सेना और नागरिक आबादी साथ-साथ मौजूद रहे.
सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में यहां विशाल इमारतों वाले रिहायशी परिसर बन गए हैं जहां बास्केटबॉल और वॉलीबॉल कोर्ट जैसी खेल और मनोरंजन की सुविधाएं उपलब्ध हैं. अधिकारियों का कहना है कि इन परिसरों निर्माण के पीछे इनके दोहरे इस्तेमाल का इरादा है. हालांकि अधिकतर परिसर खाली हैं और वहां कोई नागरिक नहीं रह रहे हैं.
एक अधिकारी ने कहा, 'सेना और नागरिक दोनों इन परिसरों का इस्तेमाल कर सकते हैं. और इन्हें संभवत: इसलिए बनाया गया कि तनाव बढ़ने की स्थिति में जमीन पर दावे को मजबूत किया जा सके. ये मिलिट्री कैंटोनमेंट्स (छावनियों) का ही विस्तार हैं.'
इन जगहों पर ऑब्जर्वेशन टॉवर्स भी मौजूद हैं और ये सब चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की बारीक निगरानी में है. LAC के पास ऐसे दो दर्जन से अधिक एकीकृत गांव हैं. इनमें से अधिकतर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के सामने पूर्वी सेक्टर में हैं. चीनी सेना की निगरानी वाले इन एकीकृत गांवों के पास होटल बनाने की भी योजना है.
इन गांवों का मकसद यहां आदिवासी और कबीलाई आबादी को बसाना है जो चार लेन वाली सड़क से जुड़े हैं.
डोकलाम के बाद चीन ने सैन्य ताकत में किया इजाफा
डोकलाम में भले ही गतिरोध समाप्त हो गया, लेकिन चीन की ओर से सैन्य ढांचे का विस्तार करना बंद नहीं हुआ. चीन ने डोकलाम के बाद LAC में विभिन्न सेक्टरों में अपनी टैंक रेजीमेंट्स को तैनात किया. कुछ मामलों में इनकी LAC से दूरी महज 20 किलोमीटर है. ये ताजा ढांचा निर्माण इस मकसद से किए गए हैं कि चीनी सेना के मोबिलाइजेशन टाइम को कम किया जा सके.
फायरिंग, हैंड ग्रेनेड फेंकना नए ट्रेनिंग मॉडयूल्स में शामिल
सूत्रों ने बताया कि 2017 में डोकलाम गतिरोध के तुरंत बाद चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने LAC के पास अपने ट्रेनिंग कार्यक्रम को तेज कर दिया था. नए ट्रेनिंग मॉड्यूल में लगातार फायरिंग, ग्रेनेड फेंकना और कठोर शारीरिक ड्रिल्स शामिल थे. दो नए ट्रेनिंग मैनुअल थे जो 2018 और 2019 में अमल में आए.
सूत्रों ने कहा कि इन ट्रेनिंग सेशंस की गहनता, ऐन आमने-सामने वाली फॉरवर्ड पोस्ट्स से भारतीय सैनिकों की ओर से साफ देखी जा सकती है.
भारत की नई युद्धक रणनीति, ढांचा मजबूत करने से चिढ़ा चीन
भारतीय सेना ने अपनी नई युद्धक रणनीति से जहां चीन को जवाब दिया, वहीं अपने मिलिट्री ढांचे को भी बढ़ाया. मौजूदा गतिरोध भारतीय सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर हुआ जिस पर चीन ने आपत्ति जताई थी. भारतीय सेना ने पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम इलाकों में दो अभ्यास किए.
भारतीय सेना ने सितंबर में पूर्वी लद्दाख में अपने विभिन्न विंग्स के साथ दुर्लभ एकीकृत सैन्य अभ्यास किया. ये अभ्यास क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के टकराव के कुछ ही दिन बाद हुआ था. इस अभ्यास में टैंक, इंफेंट्री जवान, हेलीकॉप्टर से कूदने वाले पैराट्रूपर्स, मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री भी शामिल रहे. ये सब तैयारियां चीन के खिलाफ सेना की क्षमताओं के आकलन के लिए थीं.
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इसके एक महीने बाद ही एक और वॉर गेम अरुणाचल प्रदेश में हुआ. ये LAC के अग्रिम क्षेत्रों से 100 किमी दूर 14,000 फीट की ऊंचाई पर भारत की नई युद्ध रणनीति के टेस्ट के लिए हुआ.
इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBG) की क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए ये वॉर गेम त्वांग के पास हुए. इस पर चीन से कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन इस मसले को राजनयिक चैनलों के माध्यम से हल किया गया.
भारत की ओर से जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद यह पहला गर्मी का सीजन है. अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद लद्दाख सीधे केंद्र सरकार के नियंत्रण वाला यूनियन टेरेटरी बन गया है.