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डोकलाम: चीन पर सनक सवार, विशेषज्ञ बोले- युद्ध हुआ तो नहीं जीत पाएगा भारत से

भूटान, सिक्किम और चीन के तीन मुहाने पर सैनिक तंबुओं की तादाद बढ़ती जा रही है. सैनिक बूटों की कदम ताल बढ़ती जा रही है. एक तरफ जिद और दूसरी तरफ जज़्बात है. डोकलाम अब मात्र जमीन का एक टुकड़ा नहीं युद्ध की डुगडुगी बन गया है.

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भारत-चीन विवाद
भारत-चीन विवाद

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चीन की बेतुकी जिद ने भारत के सब्र का बांध तोड़ दिया है. डोकलाम पर कब्जे के लिए चीन इस कदर अंधा हो चुका है कि वो अपनी पूरी साख को दांव पर लगाने को तैयार हो गया है. इसीलिए अब युद्ध को टालने की बची-खुची संभावना भी खत्म हो चुकी है. भारत के सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन ने ऐसा कोई रास्ता नहीं छोड़ा है, जिसमें बातचीत से डोकलाम विवाद का समाधान खोजा जा सकेगा. इसका नतीजा यह कि अब दोनों देशों के बीच 2018 में युद्ध तय माना जा रहा है.

भारत और चीन युद्ध के दरवाजे पर खड़े हैं. पीछे हटने की उम्मीदें टूटती जा रही हैं. बात से विवाद के हल का इंतजार अपनी अकाल मृत्यु को प्राप्त हो चुका है और डोकलाम पर राजनयिक नतीजों की कोई सूरत ना निकलती देख दोनों का धैर्य जवाब दे रहा है. ये वो सच है जिसने भारत को एशिया की सबसे बड़ी शक्ति की चुनौती को स्वीकार करने पर मजबूर कर दिया है.

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युद्ध की तैयारी में लगा चीन

भूटान, सिक्किम और चीन के तीन मुहाने पर सैनिक तंबुओं की तादाद बढ़ती जा रही है. सैनिक बूटों की कदम ताल बढ़ती जा रही है. एक तरफ जिद और दूसरी तरफ जज़्बात है. डोकलाम अब मात्र जमीन का एक टुकड़ा नहीं युद्ध की डुगडुगी बन गया है. डोकलाम पर कब्जे की नीयत से आंख गड़ाए बैठा चीन अब बेसब्र होता जा रहा है और जिस दिन भी उसका सब्र टूटा टैंक कूच कर देंगे.

डोकलाम सीमा पर चीनी सेना

सात हफ्ते की तनातनी के बाद चीन ने डोकलाम में अपनी चाल तेज कर दी है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए चीन ने डोकलाम सीमा पर 80 नए तंबू लगा दिए हैं. साफ है कि चीन तय इलाके में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाने का फैसला कर चुका है. पीएलए के लगभग 800 सैनिक पहले ही डोकलाम में चौबीसों घंटे गश्त कर रहे हैं.

भारत ने भी शुरू कर दी है तैयारी

चीन की तैयारियों को देखते हुए भारत भी चौकन्ना है. भारत का संदेश बहुत साफ है कि चीन किसी भी सूरत में हमारी तैयारियों को कमतर समझने का मुगालता न पाले. भारत ने भी सुकना की 33वीं कोर से भारत-चीन सीमा पर सैनिकों की तैनाती शुरू कर दी है. 20 दिन पहले ही सिलीगुड़ी की 33वीं कोर ने तीन डिविजनों से सैनिकों को भेजना शुरू कर दिया था.

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कोर की महत्वपूर्ण टुकड़ियों ने ऑपरेशन की दृष्टि से अहम जगहों पर मोर्चा संभाल भी लिया है. सिक्किम के उत्तरी और पूर्वी इलाकों में सीमा से आधा से दो किलोमीटर की दूरी पर इनकी तैनाती की गई है.

ये है चीन की चाल

भूटान की जमीन पर कब्जा जमाकर चीन ना केवल भारत को नीचा दिखाना चाहता है बल्कि दुनिया को यह संदेश भी देना चाहता है कि सीमा विस्तार की उसकी भूख के रास्ते में जो भी आएगा उसे युद्ध का सामना करना होगा. लेकिन भारत ने उसकी इस भूख से भयभीत होने की बजाए रणभेरी बजाने का ऐलान करके उसकी हिमाकतों को हवा में उड़ा दिया है.

1962 के युद्ध से सीखा सबक

भारत के रक्षा और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, 'भारत ने 1962 के युद्ध से सबक सीखा. हमारी सेनाएं किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं. फिर चाहे मौजूदा समय में पड़ोसी देशों के साथ जारी तनाव का मुकाबला ही क्यों ना हो.' भारत के रक्षा मंत्री के इस बयान ने चीन के सामने बड़ी सीधी लकीर खींच दी है. भारत डोकलाम पर चीन की धौंस के आगे आत्मसमर्पण करने वाला नहीं है.

 

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