भारत सरकार चाहती है कि देश में रक्षा बाजार का व्यापक विस्तार हो और घरेलू रक्षा उद्योग को दुनिया में पहचान मिले. सरकार देश के रक्षा बाजार का टर्न ओवर 1 लाख 75 हजार करोड़ करने की मंशा रखती है.
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का बड़ा प्लान
नई नीति के तहत सरकार रक्षा खरीदारी में देशी कंपनियों को आगे बढ़ाना चाहती है और देशी कंपनियों से रक्षा खरीद की मात्रा को दोगुना करना चाहती है. बता दें कि अभी घरेलू कंपनियों से रक्षा क्षेत्र की खरीदारी 70 हजार करोड़ है, सरकार की योजना है कि इसे 2025 तक दोगुना कर 1 लाख 40 हजार करोड़ कर दिया जाए.
दूतावासों को भी सक्रिय किया गया
रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए दुनिया भर में फैले भारतीय दूतावासों में मौजूद रक्षा अधिकारियों (Defence Attachés) को ज्यादा अधिकार दिया गया है और उन्हें देशी रक्षा उपकरणों के निर्यात पर फोकस करने को कहा गया है.
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बता दें कि हाल ही भारत के रक्षा निर्यात में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है. साल 2016-17 में भारत का रक्षा निर्यात 1521 करोड़ था साल 2018-19 में ये बढ़कर 10745 करोड़ हो गया है.
हालांकि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार को अभी कई कदम उठाने होंगे. अभी सरकार ने रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए 460 से ज्यादा लाइसेंस जारी किए हैं.
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सरकार रक्षा उपकरणों का आयात घटाने के लिए एक टाइमलाइन में हथियारों की एक सूची जारी करेगी जिनके आयात पर प्रतिबंध होगा. इस सूची को लगातार अपडेट किया जाएगा, इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि सेनाओं की जरूरतों पर असर न पड़े.
दुनिया की चुनिंदा ताकतों में शामिल होगा भारत
इस पॉलिसी दस्तावेज का लक्ष्य ये है कि भारत रक्षा क्षेत्र में दुनिया की चुनिंदा ताकतों में शामिल हो. इसमें एयरोस्पेस और नेवी शिपबिल्डिंग शामिल है. सरकार चाहती है कि इन क्षेत्रों में डिजाइन से लेकर उत्पादन में भारत अव्वल बने. इसके लिए सरकार पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को बढ़ावा देगी.