भारत लोकतंत्र सूचकांक की विश्व सूची में 10 पायदान फिसल गया है. इस सूची में भारत 10वें स्थान पर आ गया है. सूची के मुताबिक 2018 में भारत का कुल अंक 7.23 था, जो 2019 में घटकर 6.90 रह गया है. इस गिरावट का मुख्य कारण नागरिक स्वतंत्रता में कमी है.
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र यानी भारत लोकतंत्र सूचकांक की वैश्विक सूची में 10 पायदान नीचे गिर गया है. इसका मुख्य कारण नागरिक स्वतंत्रता में कमी को बताया गया है. भारत में अप्रैल-मई 2019 में लोकसभा चुनाव हुआ था. लेकिन भारत अब वैश्विक सूची में 51वें स्थान पर आ गया है. इसको लेकर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है और लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट करने का आरोप लगाया है.
An India which was once lauded for its democratic values & principles has now been labelled a "flawed democracy" several years in a row. In less than 6 years, the BJP govt has managed to destroy the democratic spirit of our nation. pic.twitter.com/StirU4RvCC
— Congress (@INCIndia) January 22, 2020
2018 में भारत का स्कोर जहां 7.23 था वहीं यह 2019 में 6.09 रह गया है. यह सूची चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद, राजनीतिक भागीदारी, सरकार के कामकाज, राजनीतिक संस्कृति और नागरिक स्वतंत्रता के आधार पर बनाई जाती है. 165 स्वतंत्र लोकतांत्रिक देशों के बीच यह रैंकिंग जारी की जाती है.
कांग्रेस ने भारत के 51वें स्थान पर आने पर मोदी सरकार को घेरा है. कांग्रेस ने कहा है कि 'द इकनोमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट' ने भारतीय जनता पार्टी सरकार के कार्य पद्धति के कारण इसे कम कर आंका है. सरकार के काम करने के तरीके के कारण भारत के लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंची है.
कांग्रेस ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर ट्वीट करते हुए कहा, 'दुनिया में भारत अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के कारण जाना जाता जाता रहा है. लेकिन बीजेपी सरकार ने पिछले 6 साल में देश के इन लोकतांत्रिक मूल्यों को गिराया है. इसी का परिणाम है कि भारत की रैंकिंग में गिरावट दर्ज की गई है.'
आपको बता दें कि पिछले साल भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाकर प्रदेश को दो राज्यों में बांट दिया था. इसके पहले प्रदेश में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी. साथ ही प्रदेश में इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई, जो अब तक जारी है. असम में सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) की सूची प्रकाशित की थी. इसके बाद देश के कई हिस्सों में इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन जारी है.