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दो वर्षों में भारत ने किया 36,360 करोड़ रुपये के मांस का निर्यात

एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक भारत ने पिछले दो वर्षों में विभिन्न देशों को करीब 36,360 करोड़ रुपये के भैंस के मांस निर्यात किया है. हालांकि एक संसदीय समिति ने दुधारू भैंसों को मांस के निर्यात के लिए काटे जाने की अनुमति दिए जाने पर सरकारी एजेंसियों को आड़े हाथों लिया है.

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क्‍या आपको पता है कि हमारा देश विदेशों में भैंस के मांस के निर्यातकों में एक अहम स्‍थान रखता है. जी हां, एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक भारत ने पिछले दो वर्षों में विभिन्न देशों को करीब 36,360 करोड़ रुपये के भैंस के मांस निर्यात किया है. हालांकि एक संसदीय समिति ने दुधारू भैंसों को मांस के निर्यात के लिए काटे जाने की अनुमति दिए जाने पर सरकारी एजेंसियों को आड़े हाथों लिया है.

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सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत कृषि एवं खाद्य उत्पाद प्रसंस्करण निर्यात विकास प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2011-12 में 286.2 करीब 17,160 करोड़ रुपये के भैंस के मांस का निर्यात किया गया जो 2012-13 में बढ़कर करीब 19,200 करोड़ रुपये हो गया. इस तरह पिछले दो वित्त वर्ष के दौरान भारत से विभिन्न देशों को करीब 36,360 करोड़ रुपये के भैंस के मांस का निर्यात किया गया. दिल्ली स्थित आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने मंत्रालय से मांस के निर्यात का ब्यौरा मांगा था.

दूसरी ओर, संसद की विशेषाधिकार समिति ने मांस के निर्यात के लिए दुधारू भैंसों को काटे जाने की अनुमति देने पर सरकारी एजेंसियों को आड़े हाथों लेते हुए यह सिफारिश की है कि नियमों में संशोधन कर यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि मांस के लिए केवल सांडों को ही बूचड़खाने में भेजा जा सकता हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'समिति दुधारू भैंसों की कटाई की कड़ी निंदा करती है और सिफारिश करती है कि सरकार को भैंसों के मांस का निर्यात तत्काल बंद करना चाहिए.'

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आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी में पशुपालन, डेयरी एवं मतस्यपालन मंत्रालय ने बताया कि मवेशियों की जनसंख्या का विकास एवं उनका संरक्षण राज्य का विषय है और अधिकांश राज्यों ने गाय एवं अन्य मवेशियों के विकास के लिए प्रजनन नीतियां तैयार की हैं. सरकार ने राष्ट्रीय मवेशी नीति 2013 तैयार की है.

दिल्‍ली में हर रोज कटते हैं 57 हजार मुर्गे
भारत सरकार ने 2009-10 से 2011-12 तक 3 राज्यों आंध्रप्रदेश, मेघालय और उत्तरप्रदेश में 48.50 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ग्रामीण बूचड़खानों की स्थापना एवं आधुनिकीकरण के लिए सब्सिडी आधारित ऋण से जुड़ी योजना प्रायोगिक आधार पर शुरू की है. इसमें नाबार्ड की भूमिका सब्सिडी देने और योजना की प्रगति पर ध्यान देने की थी. भारत सरकार ने 2011-12 में 20.33 लाख रुपये की समूह निधि जारी की थी. वर्ष 2010-11 में आंध्रप्रदेश से 10.16 लाख रुपये का सब्सिडी दावा प्राप्त हुआ था और उसे जारी कर दिया गया है.

समिति ने कहा कि नियमन के बावजूद पशु पेशेवरों द्वारा प्रत्येक पशु का सत्यापन करने की प्रक्रिया महज औपचारिकता और छलावा है. समिति ने मांस निर्यात नीति की समीक्षा का अनुरोध करने वाली याचिका के आधार पर रिपोर्ट दी है. दिल्ली मत्स्य, कुक्कुट एवं अंडा विपणन समिति से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुर्गा मंडी गाजीपुर, दिल्ली के बूचड़खाने में प्रतिदिन औसतन 57 हजार मुर्गे, मुर्गियां काटी जा रही हैं.

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