पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले का गांव सोलर पावर के जरिए रोशनी पाने वाला पहला गांव बन गया है. इसे विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा गांव घोषित कर दिया गया है.
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित पंडरी गांव के लिए ये जश्न मनाने का समय है. सालों की अड़चनों के बाद अब जाकर गांव में उजाला हुआ है. लेकिन खुशी दोगुनी तब हुई जब गांव वालों को उससे ज्यादा मिला जितना उन्होंने सोचा था.
भारत के कई अन्य गांवों की तरह अयोध्या हिल्स से सटा हुआ पंडरी गांव अपने हिस्से की बिजली पाने का इंतजार कर रहा था. विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा की स्थापना से गांव के लगभग 80 घरों का फायदा हुआ है जो पहले आग जलाकर अंधेरा मिटाया करते थे.
गैर सरकारी संस्था ने लगाया सोलर पावर ग्रिड
ये नेक पहल आर्ट ऑफ लिविंग नाम की एक गैर सरकारी संस्था के श्री श्री रूरल डेवेलपमेंट प्रोग्राम के तहत की गई है. इसमें 72 सोलर पैनल की मदद से 2000 वर्ग फीट के क्षेत्र में 1.2 किलोवॉट के सोलर पावर ग्रिड के जरिए रोशनी पहुंचाई जा रही है. इसी गांव के काशीनाथ का कहना है कि बाजार में मिट्टी का तेल 40 रुपये लीटर बिकता है. सोलर लैंप लगने से हमारे पैसे भी बच गए. सौर ऊर्जा से हमारी मदद करने का धन्यवाद.
80 घरों को पहुंचाया फायदा
संस्था के एक सदस्य पल्लब हल्दर का कहना है कि पुरुलिया में पानी का भीषण संकट था. हमने डैम के पास सोलर पंप लगाकर खेतों तक पानी पहुंचाने का काम किया. हमने गांव के 80 घरों में सोलर लैंप और पंखे बांटे. संस्था की निदेशक शुभ्रा रॉय ने बताया, 'इस गांव को चुनने के पीछे सबसे बड़ा कारण था डैम का होना. जो गर्मियों के दौरान भी सूखता नहीं है. हम गांववालों तक पंप की मदद से आसानी से पानी पहुंचा सकते हैं. जिससे वह साल में दो से तीन बार फसल उगा सकते हैं. हम गांव वालों को अलग अलग तरह की सब्जियां उगाने की सलाह दे रहे हैं.'