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एंटीगुआ से प्रत्यर्पण संधि नहीं, फिर भी इस रास्ते भारत लाया जाएगा चोकसी

पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले के आरोपी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने UNCAC के रास्ते कार्रवाई तेज कर दी है.

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मेहुल चोकसी (फाइल फोटो- GETTY IMAGES)
मेहुल चोकसी (फाइल फोटो- GETTY IMAGES)

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भारत ने एंटीगुआ से पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले के आरोपी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की कार्रवाई तेज कर दी है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने संयुक्त राष्ट्र संघ के भ्रष्टाचार विरुद्ध सम्मेलन (UNCAC) के तहत मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है.

भारत को यह रास्ता इसलिए अपनाना पड़ा क्योंकि एंटीगुआ और भारत के बीच प्रत्यर्पण को लेकर किसी प्रकार का समझौता नहीं है. हालांकि, दोनों देश संयुक्त राष्ट्र संघ के भ्रष्टाचार विरुद्ध सम्मेलन (UNCAC) के तहत आते हैं.

दरअसल, सोल में हुए जी20 सम्मेलन के दौरान भारत ने UNCAC संधि पर सहमती जताते हुए इसपर हस्ताक्षर किए थे और एंटीगुआ ने भी इस पर दस्तखत किए हैं. इसके तहत UNCAC पर हस्ताक्षर करने वाले देशों को संयुक्त राष्ट्र की संधि को मानना होगा और उसे अपने यहां लागू करना होगा.

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यूएन की संधि के मुताबिक इस पर दस्तखत करने वाले देशों के भ्रष्ट नागरिक, जिनमें निजी क्षेत्र के व्यापारी भी शामिल हैं, सजा के हकदार होंगे. उनके खिलाफ मामले की जांच में भारतीय एजेंसी बाकी सदस्य देशों की मदद ले सकती है. ऐसे में एंटीगुआ चोकसी के प्रत्यर्पण के मामले में भारत की मदद करने के प्रतिबद्ध है.

इससे पहले भारत ने एंटीगुआ एवं बरबुडा से पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले के आरोपी मेहुल चोकसी को हिरासत में लेने की मांग की थी ताकि वह देश छोड़कर भाग न पाए. जिसके बाद चोकसी ने एंटीगुआ हाईकोर्ट में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दायर की. बैंक घोटाला मामले में फरार चोकसी ने भारत द्वारा की जा रही प्रत्यर्पण की कोशिश से बचने के लिए यह कदम उठाया. चोकसी के वकील डेविड डॉर्सेट ने अदालत में याचिका दाखिल कर कहा कि भारत की अपील पर एंटीगुआ अथॉरिटी द्वारा मेहुल चोकसी को हिरासत में लेना या प्रत्यर्पण करना गैर कानूनी होगा.

चोकसी ने दलील की कि वह एंटीगुआ का नागरिक है. लिहाजा उसको भारत की अपील में हिरासत में लेने या प्रत्यर्पण करने का कोई वैध आधार नहीं है. ऐसा करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा. उसने यह भी कहा कि एंटीगुआ और भारत के बीच प्रत्यर्पण को लेकर कोई समझौता भी नहीं है. ऐसे में अदालत को घोषित करना चाहिए कि उसके प्रत्यर्पण की कोशिशें गैर कानूनी हैं.

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मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर भारत की राजनयिक कोशिशों को उस समय बल मिला था, जब एंटीगुआ अथॉरिटी ने इसके सकारात्मक संकेत दिए थे. एंटीगुआ सरकार ने भारत सरकार को इस बात के संकेत दिए थे कि उसके साथ प्रत्यर्पण को लेकर कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं है, लेकिन फिर भी चोकसी का प्रत्यर्पण संभव है.

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