भारत में डिफेंस के क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट की भारी कमी है. इसे सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं को करना होगा ताकि देश की पुलिस फोर्स, सुरक्षाबलों को और स्पेशल फोर्सेज को स्वदेशी और अत्याधुनिक हथियार और सेफ्टी गियर्स मिल सकें. देश को अब भी 10 मिलियन राइफल्स की जरूरत है. क्योंकि हमारी पुलिस की बंदूकें पुरानी हो चुकी हैं. ये बातें कहीं रिटायर्ड डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने. वे इंडिया इंटरनेशनल सिक्योरिटी एक्सपो के 22वें संस्करण में शामिल होने आए थे.
लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने कहा कि हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम कैसे काउंटर करते हैं? यानी सेना और सुरक्षाबलों को आजादी मिलनी चाहिए ताकि वे तत्काल उपयुक्त कार्रवाई कर सकें. दूसरा हम कैसे सिक्योर होते हैं? यानी हम अपनी सीमाओं को और सीमाओं के अंदर देश को कैसे सुरक्षित रखते हैं. इसके लिए हमें अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली और सीमा प्रबंधन प्रणाली चाहिए. सीमाओं का प्रबंधन तो हो रहा है, लेकिन देश के अंदर पुलिसकर्मियों के पास आधुनिक हथियार नहीं हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रस साहा ने तीसरी बात बताई कि कैसे हम आधुनिक होते हैं? यानी हमारे पास कितने अत्याधुनिक हथियार, सुरक्षा कवच और निगरानी प्रणालियां हैं. इसके लिए हमें भारी मात्रा में आधुनिक यंत्रों की आवश्यकता है. और ये जरूरत मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट से देश के अंदर ही पूरी हो सकती है. चौथी जरूरी बात है कि हम कैसे आपदाओं में रिलीफ और रेस्क्यू करते हैं. इसके लिए भी हमें नई टेक्नोलॉजी की जरूरत है.
भारतीय पुलिस दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स हैः डॉ. डी.के. अग्रवाल
इंडिया इंटरनेशनल सिक्योरिटी एक्सपो में शामिल पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसीडेंट डॉ. डी.के. अग्रवाल ने कहा कि भारतीय पुलिसफोर्स दुनिया की सबसे बड़ी पुलिसफोर्स है. भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जो रक्षा क्षेत्र में सबसे ज्यादा पैसे खर्च करता है. साथ ही दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा सामग्री आयातक है. लेकिन हमारी सेनाओं, सुरक्षाबलों और पुलिसफोर्स के पास वो अत्याधुनिक हथियार और यंत्र नहीं हैं, जो होने चाहिए.
डॉ. डी.के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले पांच सालों में देश को एक मजबूत सरकार मिली है. यही सरकार आगे भी मजबूती से रहेगी. यह व्यापार और निवेश के हिसाब से बेहतरीन समय है. भारत में ईज ऑफ डूईंग बिजनेस में अपनी रैंकिंग सुधारी है. यह 130 से घटकर 70 पर आ गई है. यानी आप भारत में कोई भी बिजनेस आसानी से कर सकते हैं. देश 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनने की राह पर है. हम इसमें मदद कर सकते हैं अगर भारत को होमलैंड सिक्योरिटी इक्विपमेंट्स का मैन्यूफैक्चरिंग हब बना दें.
क्या है इंडिया इंटरनेशनल सिक्योरिटी एक्सपो 2019?
इंडिया इंटरनेशनल सिक्योरिटी एक्सपो 2019 का यह 22वां संस्करण है. इसमें देश भर के रक्षा सामग्री बनाने वाली कंपनियां आती है. खरीदार आते हैं. केंद्र व राज्य सरकार के प्रतिनिधि आते हैं. भविष्य को ध्यान में रखते हुए यहां कई समझौते भी होते हैं. इंडिया इंटरनेशनल सिक्योरिटी एक्सपो को इस बार इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन, एमएसएमई मंत्रालय और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने मिलकर कराया है.