भारत ऐसी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) विकसित करने में सक्षम है, जो 10,000 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक निशाना साध सकती है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में आर्मामेंट रिसर्च बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. एस के सलवान ने ‘21वीं सदी में प्रौद्योगिकी का उभरता परिदृश्य’ विषय पर छठें राष्ट्रीय सम्मेलन से इतर यह बात कही. उन्होंने कहा, ‘भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अग्नि 5 मिसाइल का हाल ही में सफल परीक्षण किया है जिसकी मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर है. लेकिन हम आईसीबीएम विकसित करने में सक्षम हैं जो 10,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक निशाना साध सकती है.'
शहर के एक शैक्षणिक समूह द्वारा आयोजित सम्मेलन में सलवान ने कहा कि ऐसे सेमिनारों को देश भर में अकादमिक संस्थानों द्वारा आयोजित किया जाना चाहिए ताकि वैज्ञानिक संस्थानों के साथ छात्रों, अकादमिक जगत के लोगों और अन्य साझेदारों के बीच व्यापक संपर्क हो सके. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी को ऐसे सेमिनार और सम्मेलन आयोजित करने चाहिए. सलवान ने कहा कि ‘अग्नि 6’ के जमीनी संस्करण के अलावा डीआरडीओ साथ साथ इसके भूमिगत संस्करण पर भी काम कर रहा है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों द्वारा लेजर प्रौद्योगिकी के कलपुजरे पर आयात पर प्रतिबंध के बाद भारत ने लेजर प्रौद्योगिकी का
स्वदेशी स्तर पर विकास किया और आत्मनिर्भर बना. उन्होंने कहा, ‘हम शस्त्रों की राष्ट्रीय जरूरतों और वरीयताओं के प्रति समन्वित रूख स्वीकार करते हैं, फिर भी अहम क्षेत्रों में क्षमता हासिल
करने के लिए वैश्विक प्रगतियों पर ध्यान रखे हुए हैं.'
आर्मामेंट रिसर्च बोर्ड की भूमिका पर उन्होंने कहा कि यह प्रतिस्पर्धी शस्त्र भंडारों के विकास की अहम प्रौद्योगिकी जरूरतों पर आत्म निर्भरता बनाने में मदद करता है. सम्मेलन में उन्होंने एंटी डिफेंस मिसाइल, इलेक्ट्रानिक युद्ध और साइबर सुरक्षा पर भी बात की.
इनपुट भाषा