लद्दाख के डेमचेक और चुमार में चीनियों ने तंबू क्यों लगा रखे हैं? चीनी सैनिक हमारी जमीन पर क्यों कब्जा किए हुए हैं? ये सवाल हर भारतीय को खाए जा रहा है. एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनातनी क्यों बढ़ती जा रही है, जबकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हाल ही में भारतीय मेहमानवाजी के मुरीद होकर स्वदेश लौटे हैं.
दरअसल, इस सवाल का जवाब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के एक बयान में छुपा हुआ है. जिनपिंग रविवार को जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कमांडरों से क्षेत्रीय लड़ाई जीतने के लिए अपनी क्षमता को और धारदार बनाने की बात कर रहे थे, तो उनका फ्रस्ट्रेशन साफ झलक रहा था.
हालिया दौरे पर शी जिनपिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने मोहपाश में बांधने में नाकाम रहे. जिनपिंग चाहते थे कि हिंद और भारतीय प्रधानमंत्री जापान के साथ अपने संबंधों की गर्माहट को कम रखें और धीरे चलें. लेकिन मोदी, जिनपिंग के जाल में नहीं फंसे. लिहाजा चीन ने एलएसी पर अपने सैनिकों को खड़ा कर दिया, ताकि भारतीय जापान के साथ ज्यादा आगे ना बढ़ पाएं. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस आशय की खबर प्रकाशित की है.
पश्चिम के एक राजनयिक के मुताबिक शी जिनपिंग भारत पर सैन्य दबाव बनाए रखना चाहते हैं, ताकि वह जापान से दूर ही रहें.
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से गले मिलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
गौरतलब है कि शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कमांडरों से कहा था कि सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में क्षेत्रीय लड़ाई को जीतने के लिए अपनी क्षमता को धारदार बनाएं. भारत और चीन के बीच लद्दाख में कई मोर्चों पर इस समय तनातनी चल रही है.बीजिंग में रहने वाले एक राजनयिक के मुताबिक जापान सैन्यीकरण की ओर बढ़ रहा है. वहीं, मजबूत लीडर के तौर पर मोदी का आगमन और इन सबके बीच जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ उनकी दोस्ती चीन के लिए सबसे बुरी चीज हो सकती है. लिहाजा जपान को भारत से दूर रखने के लिए शी जिनपिंग ने भारत पर सैन्य दबाव बनाए रखा है.
एक दूसरे राजनयिक ने भारत-चीन के बीच सैन्य मोर्चे पर जारी तनाव पर कहा, 'जापान से भारत को दूर रखने के लिए चीन कुछ भी कर सकता है. चाहे वो भारत को लुभाएं, धमकी दे या कुछ भी, वह कर सकता है. ताकि भारत जापान से दूर रहें.'
उन्होंने कहा, 'चीन एशिया में क्षेत्रीय ताकत बनने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन भारत-जापान की दोस्ती उसके मंसूबे को ध्वस्त कर सकती है.'