यह रैंकिंग इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2019 (IJR-2019) में दी गई है. इस रैंकिंग को तैयार करने के लिए न्याय प्रक्रिया के चार प्रमुख स्तंभों का आंकड़ेंवार अध्ययन किया गया है. ये स्तंभ हैं - पुलिस, न्याय व्यवस्था, जेल और कानूनी सहायता. गौरतलब है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन चार स्तंभों के बीच तालमेल बेहद जरूरी है. महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, गोवा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश में इन चारों स्तभों की कार्यप्रणाली बेहतरीन है. इसके अलावा इन राज्यों में इन चारों स्तंभों के बीच उम्दा तालमेल भी है.
जानिए किस राज्य की क्या स्थिति है इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2019 में.
जानिए... बड़े राज्यों में बेहतरीन पांच राज्य
राज्य स्कोर (10 में)
महाराष्ट्र 5.92
केरल 5.85
तमिलनाडु 5.76
पंजाब 5.53
हरियाणा 5.53
छोटे राज्यों में पांच उम्दा राज्य
राज्य स्कोर (10 में)
गोवा 4.85
सिक्किम 4.31
हिमाचल 4.05
मिजोरम 3.89
मेघालय 3.81
देश के सबसे खराब तीन राज्य
राज्य स्कोर (10 में)
उत्तर प्रदेश 3.32
त्रिपुरा 3.42
अरुणाचल प्रदेश 3.43
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट से निकलने वाले प्रमुख निष्कर्ष
जानिए...इन चार स्तंभों में कहा कितने पद खाली
देशभर में न्याय और कानून व्यवस्था में रिक्त पदों की संख्या बहुत ज्यादा है. पुलिस में 22% (1 जनवरी 2017 तक), जेल में 33 से 38% (31 दिसंबर 2016) और अदालतों में 20 से 40% (2016-2017). गुजरात इकलौता राज्य है जहां पांच सालों में पुलिस, जेल और अदालतों में खाली पदों को भरने का बेहतर काम हुआ है. जबकि, झारखंड में खाली पड़े पदों की संख्या तेजी से बढ़ी है. एससी/एसटी/ओबीसी का कोटा किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में पूरा नहीं भरा गया है. हालांकि, कर्नाटक इसमें सबसे आगे है. वहां, एसटी और ओबीसी का कोटा तो भरा गया लेकिन एससी का कोटा भरने में अब भी 4 फीसदी बाकी है.
देश की कानून व्यवस्था में महिलाओं की कमी
पूरे देशभर में न्याय और कानून व्यवस्था में महिलाओं की संख्या काफी कम है. पुलिस में मात्र 7 फीसदी महिलाएं हैं. जेल कर्माचारियों में 10 फीसदी महिलाएं हैं. उच्च न्यायालयों और अधीन न्यायालयों के सभी जजों में महिला जज करीब 26.5 फीसदी ही हैं.
इन 6 राज्यों में कोर्ट में फाइल सभी मामलों का निपटारा हुआ
2016 और 2017 में केवल 6 राज्य ही हैं जिन्होंने कोर्ट में दर्ज सभी मामलों का निपटारा किया है. ये राज्य हैं - गुजरात, दमन-दीव, दादर-नगर हवेली, त्रिपुरा, ओडिशा, लक्षद्वीप, तमिलनाडु और मणिपुर. अगस्त 2018 में बिहार, यूपी, प.बंगाल, ओडिशा, गुजरात, मेघालय और अंडमान-निकोबार में हर चार मामलों में से एक केस पांच सालों से लटका पड़ा है.
देश में 68 फीसदी अंडरट्रायल कैदियों के केस में जांच या ट्रायल नहीं
देशभर के विभिन्न राज्यों की जेलों में बंद कैदियों में से 68 फीसदी कैदी अंडरट्रायल हैं. ये वो कैदी हैं जिनकी या तो जांच पूरी नहीं हुई है या फिर उनकी ट्रायल लंबित है. 33 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में अंडरट्रायल कैदियों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा है. पांच सालों में केवल 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संख्या को घटाने में सफलता मिली है.
किन चीजों को आधार बनाकर तैयार की गई है ये रिपोर्ट
हर स्तंभ का राज्य द्वार मानकों और मापदंडों की तुलना में बजट, मानव संसाधन, कर्मचारियों का कार्यभार, विविधता, बुनियादी सेवा सुविधाएं और प्रवृत्तियों की कसौटियों पर विश्लेषण किया गया है. इस विश्लेषण के आधार पर ही देश के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट तैयार की गई है.
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्थाएं
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट टाटा ट्रस्ट्स, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास और विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी ने मिलकर बनाया है.