इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2019 के अनुसार देश के करीब 6 राज्य ऐसे हैं जहां की पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी 33% होने में 100 से 300 साल लग जाएंगे. हालांकि, जम्मू-कश्मीर में 10 गुना ज्यादा समय लगेगा. यानी वहां के पुलिस बल में महिलाओं को 33 प्रतिशत भागीदारी मिलने में करीब 3535 साल लग जाएंगे. सिर्फ पुलिस ही नहीं, अदालतों में भी महिलाओं की भागीदारी कम है.
जानिए किस राज्य की पुलिस में महिलाओं की भागीदारी 33% होने में कितना समय लगेगा
100 से 300 साल लगेंगे इन राज्यों मेंः मध्यप्रदेश (294 साल), छत्तीसगढ़ (225 साल), पुड्डूचेरी (158 साल), कर्नाटक (120 साल), ओडिशा (111 साल) और पंजाब (100 साल).
50 से 100 साल लगेंगे इन राज्यों मेंः दिल्ली (81 साल), अरुणाचल प्रदेश (79 साल), हरियाणा (74 साल), अंडमान-निकोबार (68 साल), राजस्थान (65 साल), झारखंड (64), उत्तर प्रदेश (63 साल), सिक्किम (62 साल), मेघालय (61 साल), मिजोरम (57 साल) और लक्षद्वीप (50 साल).
20 से 50 साल लगेंगे इन राज्यों मेंः त्रिपुरा (45 साल), तमिलनाडु (43 साल), हिमाचल प्रदेश (40 साल), गुजरात (34 साल), केरल (30 साल), पश्चिम बंगाल (29 साल) और गोवा (26 साल).
20 साल से कम लगेंगे इन राज्यों मेंः बिहार (18 साल), दादर-नगर हवेली (17 साल), चंडीगढ़ (16), महाराष्ट्र (14 साल) और दमन-दीव (13 साल).
आइए...जानते हैं कि उच्च न्यायालयों में कितनी महिला जज हैं
सबसे ज्यादा महिला जज वाला राज्य है सिक्किम
पूरे देश में सिक्किम इकलौता राज्य हैं जहां के हाईकोर्ट में 33.3 फीसदी महिला जज हैं. इसके बाद उच्च न्यायालयों में सबसे ज्यादा महिला जज वाले पांच राज्य हैं - दिल्ली (20.5%), तमिलनाडु (19.6%), पुड्डूचेरी (19.6%), पश्चिम बंगाल (17.9%) और केरल (14.3%).
सबसे कम महिला जज वाले राज्य
छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और दादरा-नगर हवेली के उच्च न्यायालयों में एक भी महिला जज नहीं हैं. इसके अलावा सबसे कम झारखंड (5.3%), आंध्र प्रदेश (5.9%), मिजोरम (5.9%), असम (5.9%) और नगालैंड (5.9%) महिला जज हैं.
जेलों में क्या है महिला कर्मियों की तादात
देश के 34 राज्यों में से 17 राज्य ही हैं जहां 10 फीसदी से ज्यादा महिला स्टाफ हैं. बाकी में 10 फीसदी से कम महिला स्टाफ हैं. वहीं, कानूनी सहायता प्रदान करने के मामले को देखे तों यहां भी महिलाओं की भागीदारी कम है. देश के 20 राज्यों में ही महिला वकीलों की संख्या 20 फीसदी से अधिक है. अगर बड़े से मध्यम आकार के राज्यों की बात करें तो महिला वकीलों की संख्या 7 से 40 फीसदी के बीच है. जबकि, छोटे राज्यों में ये 15 से 54 प्रतिशत है.
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्थाएं
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट टाटा ट्रस्ट्स, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास और विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी ने मिलकर बनाया है.