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देश की 90 फीसदी आबादी के पास नहीं है अपना वाहन, बसों की भारी कमी

भारत में बसों की भारी कमी है. यह जानकारी खुद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दी. देश को 30 लाख बसों की जरूरत है और अभी सिर्फ 3 लाख बसें.

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भारत में बसों की भारी कमी
भारत में बसों की भारी कमी

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देश में बसों की भारी कमी है. यहां पर 30 लाख बसों की जरूरत है और हैं अभी सिर्फ 3 लाख बसें. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में अभी 19 लाख बसें हैं और इनमें से सिर्फ 2.8 लाख राज्य परिवहन की ओर से चलाई जाती हैं. केंद्रीय परिवहन सचिव वाईएस मलिक ने यह बयान देते हुए कहा कि हमें यात्रियों की जरूरतों को पूरी करने के लिए 30 लाख बसों की जरूरत है.

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक चीन में 1000 लोगों के लिए 6 बसें हैं, भारत के पास 10 हजार लोगों के लिए सिर्फ 4 बसें हैं. और 90 फीसदी लोगों के पास तो कोई भी गाड़ी नहीं है. ऐसे लोग शैयर्ड मोबिलिटी पर निर्भर रहते हैं. तो ऐसे में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार लाना ही एक जवाब बनता है.

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टाटा और अशोक लेलैंड बनाएं ऑपरेटर कंपनी

सरकार इलेक्ट्रिक या वैकल्पिक ईंधन पर चलने वाली सार्वजनिक परिवहन की बसों के लिए निवेशकों को सभी आवश्यक मंजूरियां एक स्थान पर या एकमुश्त देने को तैयार है. वैश्विक मोबिलिटी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते नितिन गडकरी ने ये पेशकश की.

मंत्री ने ई वाहनों को प्रोत्साहन के लिए नियामकीय बाधाएं हटाने का वादा करते हुए प्रस्ताव किया कि प्रमुख वाहन विनिर्माता कंपनियां टाटा मोटर्स और अशोक लेलैंड लंदन के परिवहन मॉडल की तर्ज पर ऑपरेटर कंपनी बना सकती हैं. 

उन्होंने कहा  मैं आपको सभी मंजूरियां एकमुश्त दूंगा. मंजूरी एक प्रमुख बाधा है जिससे परियोजनाओं में देरी होती है और लागत बढ़ती है. सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के लिए इलेक्ट्रिक या वैकल्पिक ईंधन के साथ आगे आएं.

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