भारत को बिजली क्षेत्र में अगले तीन साल के दौरान 250 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश की जरूरत है. यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है.
इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि 12वीं योजना के दौरान बिजली प्रणाली में 250 अरब डॉलर से ज्यादा के निवेश की जरूरत है. रपट में कहा गया कि इससे निवेशकों, डेवलपरों, बिजली उपकरण विनिर्माताओं और बुनियादी ढांचे के लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे.
12वीं योजना (2012-17) के दौरान भारत ने 88,537 मेगावाट की क्षमता जोड़ने की योजना बनाई है जिसमें 69,280 मेगावाट का उत्पादन कोयले से होगा. सरकार ने अतिरिक्त 30,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की योजना बनाई है जिसमें से 5,000 मेगावाट विंड, 10,000 मेगावाट सौर और 2,100 छोटी पनबिजली योजनाओं से जोड़ा जाएगा.
फिलहाल, ऊर्जा के सभी स्रोतों से भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता करीब 2,50,000 मेगावाट है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कि कोयले की कमी के कारण करीब 25,000 मेगावाट क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है.