भारत ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में माओवादी समस्या को ‘सशस्त्र संघर्ष’ की परिधि में शामिल किये जाने का कड़ा विरोध किया है.
भारत ने कहा कि माओवादी गुटों द्वारा फैलायी जा रही हिंसा की वजह से इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सशस्त्र संघर्ष में शामिल नहीं किया जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरदीप सिंह ने सुरक्षा परिषद से कहा माओवादी समूहों की गतिविधियों को सशस्त्र संघर्ष के दायरे में नहीं रखा जा सकता है. उहोंने इस संबंध में हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ‘बच्चे और सशस्त्र संघर्ष’ का हवाला दिया.
सिंह ने कहा, ‘‘मैंने प्रारंभ में ही स्पष्ट कर दिया था कि इन समूहों द्वारा फैलायी जा रही हिंसा पूरी तरह से घृणित और निंदा किये जाने योग्य है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर सशस्त्र संघर्ष की परिधि में शामिल नहीं किया जा सकता है.’’{mospagebreak}सिंह ने संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी राधिका कुमारास्वामी का उल्लेख करते हुये कहा, ‘‘इसीलिये हम इन घटनाओं को सशस्त्र संघर्ष के दायरे में डाले जाने को स्वीकार नहीं कर सकते हैं.’’ इस रिपोर्ट का निर्माण संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून के कार्यालय ने तैयार किया है और सुरक्षा परिषद को दिया गया है. रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में सशस्त्र माओवादियों के बच्चों को शामिल किये जाने का उल्लेख किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘नक्सलियों ने स्वीकार किया है कि बच्चों का इस्तेमाल सूचनाओं का आदान प्रदान करने वाले तथा मुखबिर के रूप में किया जाता है. उन्होंने यह भी माना है कि बच्चों को कम और अधिक घातक हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया है.’’