पुलवामा के आतंकी हमले में 40 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद भारत के कड़े एक्शन से पाकिस्तान में कोहराम मच गया है. भारतीय वायुसेना के मिराज विमानों ने बालाकोट के आतंकी कैंप पर बम गिराए हैं और 300 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया है. पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. भारत के एक्शन पर ऑस्ट्रेलिया ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पाकिस्तान को उन आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो पाकिस्तान से भारत के खिलाफ आतंक फैलाने का काम करते हैं. ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान से जैश ए मोहम्मद और लश्करे तैयबा जैसे संगठनों पर रोक लगाने की मांग की है.
14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भी ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मेरीस पायने ने संवेदना व्यक्त की थी. ऑस्ट्रेलिया ने अपने बयान में कहा है कि पाकिस्तान को अपने एरिया में जैश ए मोहम्मद की गतिविधियों पर लगाम लगानी चाहिए. किसी भी आतंकवादी संगठन को अपने क्षेत्र से कानून और किसी भी अन्य तरीके की गतिविधियों को चलाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. पाकिस्तान को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लेना चाहिए.
अगर इस तरह का प्रयास किया जाता है तो यह शांति व्यवस्था स्थापित करने में बड़ मदद करेगा. इससे विवादों को निपटाने में भी आसानी होगी. ऑस्ट्रेलिया ने दोनों देशों से अपील की है कि हालात को काबू में करने के लिए दोनों देशों को कोशिश करनी चाहिए. कोई भी ऐसा कदम उठाने से बचना चाहिए जिससे इससे इलाके की शांति और सुरक्षा को किसी तरह का नुकसान पहुंचे. ऑस्ट्रेलिया का यह भी कहना है कि बातचीत के आधार पर इस मसले को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाया जा सके.Australian Foreign Minister Marise Payne: Australian government is concerned about relations between India and Pakistan following the horrific terrorist attack in Jammu and Kashmir on 14 February, which Australia has condemned. (file pic) pic.twitter.com/iOzo3y1CMG
— ANI (@ANI) February 26, 2019
दूसरी ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि भारत ने अनावश्यक रूप से आक्रामकता दिखाई है. इमरान ने कहा कि पाकिस्तान सही वक्त और सही जगह पर जवाब देगा. उन्होंने तीनों सेना प्रमुखों की बैठक बुलाई है. भारत के हमले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है. उन पर भारत को जवाब देने का दबाव बनाया जा रहा है. पाकिस्तान में इस बात पर तेजी से मंथन हो रहा है कि इस मसले को इंटरनैशनल फोरम पर कैसे उठाया जाए और इससे किस तरह सहानुभूति हासिल की जाए.