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अंतरिक्ष में भारत सबसे आगे, चीन का मंगल मिशन फेल, पाकिस्तान तो रेस में ही नहीं

अंतरिक्ष के क्षेत्र में पाकिस्तान ने 16 सितंबर 1961 में स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन बनाया. वह भी भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के आधिकारिक गठन से करीब आठ साल पहले, लेकिन आज भी वो रेस में ही नहीं है.

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इसरो के चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान (फोटो क्रेडिटः ISRO)
इसरो के चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान (फोटो क्रेडिटः ISRO)

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 15 जुलाई को अपने दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग कर रहा है. अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में भारत दुनिया में सबसे अग्रणी देशों में शुमार है और दक्षिण एशिया में नंबर एक है. दक्षिण एशिया में आठ देश हैं. भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव. अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में सिर्फ पाकिस्तान ही थोड़ा बहुत प्रयास कर पा रहा है. वह भी न के बराबर. भारत तो इनसे बहुत आगे है. पड़ोसी देश चीन टक्कर देता है लेकिन इस वक्त भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में अभी दुनिया का सबसे भरोसेमंद संगठन है.

अंतरिक्ष के क्षेत्र में पाकिस्तान ने 16 सितंबर 1961 में स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (SUPARCO) बनाया. वह भी भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के आधिकारिक गठन से करीब आठ साल पहले. लेकिन आज वो रेस में ही नहीं है. इसरो की स्थापना 1969 में हुई थी. उससे पहले भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का नाम इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च था. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाई. अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में भारत के सामने पाकिस्तान का कोई वजूद ही नहीं है. सिर्फ चीन ही है जो भारत से कुछ मामलों में आगे है. लेकिन उसके भी अभियानों ने दुनिया को उतना हैरान नहीं किया, जितना इसरो ने किया.

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पाकिस्तान ने अब तक सिर्फ 5 सैटेलाइट ही छोड़े हैं

  • पहला- 16 जुलाई 1990 को छोड़ा गया था बद्र-1. यह एक आर्टिफिशियल डिजिटल उपग्रह था. इसने 6 महीने बाद अंतरिक्ष में काम करना बंद कर दिया था.
  • दूसरा - बद्र-बी उपग्रह जो एक अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट था. इसे 10 दिसंबर 2001 को लॉन्च किया गया था.
  • तीसरा - पाकात-1आर या पाकसाक-1 उपग्रह 11 अगस्त 2011 को चीन की मदद से छोड़ा गया. इसे चीन ने ही बनाया था. यह एक संचार उपग्रह है. यह अभी काम कर रहा है.
  • चौथा - आईक्यूब-1 उपग्रह है जिसे 21 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था. यह बायोलॉजी, नैनो टेक्नोलॉजी, स्पेस डायनेमिक्स आदि जैसे प्रयोगों के लिए बनाया गया था. इसने भी दो साल काम किया.
  • पांचवां - पाकिस्तान रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट. इसे 9 जुलाई 2018 को लॉन्च कर दिया गया था. इसे भी चीन ने अपने रॉकेट से लॉन्च किया था.

चीन की प्रतियोगिता भारत से नहीं, अमेरिका, रूस और यूके से है

अमेरिका, रूस और यूके के बाद चीन चौथा देश है जिसके पास मानव को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता है. उसका अपना अंतरिक्ष स्टेशन तियानगॉन्ग-1 और 2 है. चीन का सबसे भरोसेमंद रॉकेट लॉन्ग मार्च है. 2007 में ही लॉन्ग मार्च की 100वीं उड़ान पूरी हुई थी. इसी रॉकेट से चीन ने 2003 में अपना मानव मिशन भेजा था. इसी रॉकेट से उसने 2007 में अपना चंद्र मिशन चांगई-1 लॉन्च किया था.

चंद्रमा पर चीन के दो ऑर्बिटर चक्कर लगा रहे हैं. पहला चांगई-1 और दूसरा चांगई-2. लेकिन, भारतीय चंद्रयान-1 ने पहले ही मौके पर चांद पर पानी खोजकर सदी की सबसे महत्वपूर्ण जानकारी दी. वर्ष 2011 में चीन ने रूस के साथ मिलकर मंगल पर अपना मिशन यिंगहुओ-1 लॉन्च किया था लेकिन यह पृथ्वी की कक्षा से ही बाहर नहीं जा पाया. जबकि, इसरो के मंगलयान ने दुनियाभर में कामयाबी के झंडे गाड़े. भारत मंगल तक अपना उपग्रह पहुंचाने वाला चौथा देश बन गया. चीन 2020 में मंगल पर अपना लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर भेजने की तैयारी में लगा है.

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जापान का ज्यादा काम मिलिट्री और नागरिक सेवाओं के लिए

जापान अमेरिका के साथ मिलकर मिलिट्री और नागरिक सेवाओं के लिए काम कर रहा है. जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा 2025 तक चांद पर मानव स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा है. जापान ने 1998 में पहला जासूसी उपग्रह बनाया, जब उत्तर कोरिया ने मिसाइल टेस्ट किया. इसके अलावा जापान ह्युमेनॉयड रोबोट असीमो को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी में भी है.

ईरान ने 2009 में अपना पहला उपग्रह लॉन्च किया

ईरान ने 2 फरवरी 2009 पहला स्वदेशी उपग्रह ओमिड लॉन्च किया था. अभी उसने अपना रॉकेट साफिर-एसएलवी बनाया है. वह दूसरा रॉकेट सिमोर्घ भी बना रहा है.

इजरायल अपना उपग्रह बनाने वाला दुनिया का 10वां देश

1983 में इजरायली स्पेस एजेंसी बनाई गई थी. इजरायल ने 19 सितंबर 1988 में खुद के बनाए गए रॉकेट शाविट से अपना पहला उपग्रह ओफेक-1 लॉन्च किया था.

दुनिया ने नहीं माना उत्तर कोरिया के इस दावे को

उत्तर कोरिया ने 31 अगस्त 1998 और 5 अप्रैल 2009 को दो उपग्रह क्वांगमियोगंसॉन्ग-1 और 2 लॉन्च करने की घोषणा की. लेकिन दुनिया के किसी भी देश ने इसकी पुष्टि नहीं की. हालांकि, उत्तर कोरिया ने 12 दिसंबर 2012 को क्वांगमियोगंसॉन्ग-3 उपग्रह का पहला सफल प्रक्षेपण किया था. उत्तर कोरिया के खुद के रॉकेट भी है. इनके नाम है- मुसुदान-री, बेकदुसान-1, उन्हा और उन्हा-3.

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इंडोनेशिया अभी प्रयास कर रहा है अंतरिक्ष में नाम कमाने का

इंडोनेशिया अभी अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नाम कमाने का प्रयास कर रहा है. हालांकि इंडोनोशिया जुलाई 1976 में ही अपना घरेलू उपग्रह सिस्टम बनाने वाला पहला विकासशील देश बन गया था. इसके वैज्ञानिकों को नासा भी अपने प्रोजेक्ट में शामिल किया था. इसके ज्यादातर उपग्रह भारत ही लॉन्च करता है. अभी वह अपना रॉकेट पेंगोऑर्बिटॉन बना रहा है.

अंतरिक्ष विज्ञान का नया खिलाड़ी है दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में नया खिलाड़ी है. अगस्त 2006 में उसने अपना पहला मिलिट्री संचार उपग्रह मुंगुंगुह्वा-5 लॉन्च किया था. 2008 में उसने अपना रॉकेट बनाया. फिर उसने अंतरिक्ष में अपना यात्री ली सो-यिओन को भेजा.

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