भारत ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ विदेश मंत्री स्तर की वार्ता को परस्पर वार्ता की बहाली के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि यह दोनों देशों के बीच सिर्फ विश्वास बहाली का उपाय है.
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा, ‘अगर आप थिंपू विषय को देखें तो वार्ता जैसी कोई बात नहीं है. विदेश मंत्रियों एवं विदेश सचिवों के बीच बातचीत सिर्फ विश्वास बहाली का उपाय है. यही हमारी वार्ता का मुख्य आधार है’. कृष्णा ने कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ उनकी वार्ता का मुख्य बिंदु दोनों देशों के बीच अविश्वास को खत्म करने के तरीकों का पता लगाना होगा.
उन्होंने कहा, ‘यह शुरुआत है और अगर हम किसी साझे धरातल पर पहुंचे तो अन्य मुख्य मुद्दों पर वार्ता होगी’. गृह मंत्री पी चिदंबरम के उनसे पहले पाकिस्तान दौरे के बारे में कृष्णा ने कहा कि स्थिति के बारे में उनके आकलन के आधार पर विदेश मंत्रियों की वार्ता आगे बढ़ेगी. कृष्णा ने कहा, ‘गृह मंत्री मुझसे पहले जा रहे हैं और वह पाकिस्तानी नेतृत्व से मुलाकात करने जा रहे हैं और पाकिस्तानी नागरिकों द्वारा पाकिस्तान की धरती से भारत के खिलाफ जारी आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित एकत्र सारे आंकड़े उनके समक्ष रखेंगे’.
कृष्णा ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि वह भारत के मामले को पेश करेंगे और फिर हम देखते हैं कि पाकिस्तान की ओर से क्या प्रतिक्रिया मिलती है और फिर वह वापस आकर अपना आकलन से अवगत करायेंगें और उसी आधार पर हमारी वार्ता आगे बढ़ेगी’. उन्होंने कहा कि जब तक आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, सरकार के स्तर पर चीजें वैसी ही रहेंगी.
कृष्णा ने कहा, ‘जब तक आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, संभवत: मैं इस्लामाबाद जाऊं, विदेश मंत्री कुरैशी दिल्ली आएं, सरकार के स्तर पर मुझे आशंका है कि चीजें वैसी ही रहेंगी’. उन्होंने कहा, ‘हम आतंकवाद पर बड़ी उपलब्धि हासिल करना चाहते हैं’.
यह पूछने पर कि संसद में उन्होंने भारत-पाक संबंधों में बदलाव का जिक्र किया था, मंत्री ने कहा कि उनका मतलब था कि नई शुरूआत की जानी है जिसके लिए दोनों देशों को तैयार रहना चाहिए. कृष्णा ने कहा, ‘जब मैंने बदलाव की बात कही तो मेरा मतलब था कि नई शुरुआत की जानी है और उस नयी शुरुआत के लिए दोनों देशों को तैयार रहना चाहिए. थिंपू में मैंने पाया कि पाकिस्तान बदलाव को स्वीकार करने को तैयार है’.