मानवाधिकार के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा श्रीलंका के खिलाफ मतदान की तमिल दलों की मांग की पृष्ठभूमि में सरकार बुधवार को इस मामले में कोई स्पष्ट रवैया अपनाए जाने से बचती दिखी, हालांकि सरकार ने श्रीलंका से कहा है कि वह इस मसले को ‘अहम के मुद्दे’ के बजाय मानवीय मुद्दे के रूप में देखे.
संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंकाई तमिलों की स्थिति के संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया जाना है और इसी संदर्भ में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि उन्होंने अपने श्रीलंकाई समकक्ष जी एल पेइरिस से अमेरिका के साथ मिलकर काम करने और इस संबंध में सभी को स्वीकार्य एक मसौदे पर होने वाली किसी भी प्रगति से अवगत कराने को कहा है.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘सरकार रुख तय करेगी. अभी तक की स्थिति के अनुसार, मैंने श्रीलंकाई समकक्ष से कहा है कि वह इस मामले में अमेरिका को शामिल करे. अगर आप आगे बढ़ते हैं (मानवाधिकार के मामले में) तो आपको अमेरिका के संज्ञान में यह मामला लाना चाहिए ताकि सभी को स्वीकार्य एक मसौदे पर पहुंचा जा सके.’
उन्होंने कहा, ‘यह एक मानवीय मुद्दा है. यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे हर किसी को अहम के आधार पर लेना चाहिए. यदि संभव है तो उनसे सीधे बात करें और एक उचित तथा स्वीकार्य मसौदा तलाशें.’
उनका बयान ऐसे समय में आया है जब तमिल दलों की ओर से इस बात को लेकर दबाव बढ़ रहा है कि भारत को श्रीलंका के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए तथा उसके खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव के विरोध में मतदान करना चाहिए.
अमेरिका कथित युद्ध अपराधों को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के चालू सत्र में श्रीलंका के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में है. इस प्रस्ताव में श्रीलंका से सुलह समझौते की प्रक्रिया को बढ़ावा देने तथा जवाबदेही तय करने की बात कही गयी है.
प्रस्ताव में श्रीलंका सरकार से कहा जाएगा कि वह अपने लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करे जिनमें श्रीलंका सबक एवं सुलह समझौता आयोग द्वारा की गयी सृजनात्मक सिफारिशों पर अमल भी शामिल है.