अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को काफी घटा दिया है. वित्त वर्ष 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बढ़त दर महज 4.8 फीसदी रहेगी. आईएमएफ ने कहा कि भारत और इसके जैसे अन्य उभरते देशों में सुस्ती की वजह दुनिया के ग्रोथ अनुमान को उसे घटाना पड़ा है. आईएमएफ ने दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच (WEF) की बैठक के दौरान इस अनुमान को जारी किया.
इंडिया टुडे के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल से खास बातचीत में आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान में 80% की गिरावट के लिए भारत जिम्मेदार है. गोपीनाथ ने कहा कि हमने 2019 के लिए वैश्विक विकास 2.9 प्रतिशत और 2020 के लिए 3.3 प्रतिशत का अनुमान लगाया है, जो अक्टूबर के अनुमान से 0.1 प्रतिशत कम है. इसका अधिकांश हिस्सा भारत के लिए हमारे डाउनग्रेड से आता है जो दोनों वर्षों के लिए काफी महत्वपूर्ण था.
Global growth down at 2.9%, says IMF Chief Economist Gita Gopinath as she speaks #exclusively to @rahulkanwal#Newstrack with @rahulkanwal LIVE https://t.co/4fqxBVUizL pic.twitter.com/tligoqo36W
— India Today (@IndiaToday) January 20, 2020
यह पूछे जाने पर कि भारत में आर्थिक मंदी ने वैश्विक पूर्वानुमानों को किस हद तक प्रभावित किया है तो उन्होंने कहा 'सरल गणना कहती है कि ये 80 प्रतिशत से अधिक होगा.' भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को घटाने के बारे में गोपीनाथ ने कहा कि भारत की पहली दो तिमाहियों के अनुमानों की तुलना में हम कमजोर थे. उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी और ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान कम किया गया है.
क्या रहेगा जीडीपी का हाल
आगे गोपीनाथ ने कहा कि वर्ष 2020 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त 5.8 फीसदी और आगे 2021 में और सुधरकर 6.5 फीसदी रह सकती है. भारत की अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने को लेकर गोनीनाथ ने कहा कि हम भारत को उभरते हुए देखते हैं. अगले वित्तीय वर्ष में महत्वपूर्ण रिकवरी आ रही है. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती एनपीए की समस्या को दूर किए बिना विकास को बढ़ावा देना है. गोपीनाथ ने यह भी कहा कि 2020 में वैश्विक वृद्धि में तेजी अभी काफी अनिश्चित बनी हुई है.