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मोदी-पुतिन की डील पर ट्रंप की टेढ़ी नजर, S-400 पर CAATSA बैन का डर

डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त में रूस की इस आधुनिक डिफेंस मिसाइल सिस्टेम को ध्यान में रखते हुए काटसा कानून को मंजूरी दी थी. अमेरिका ने इस कानून के जरिए रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के हितों के खिलाफ काम करने के  लिए तैयार किया है.

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एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टेम
एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टेम

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अमेरिकी प्रतिबंध के साए में भारत और रूस एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम डील पर सहमति करने के लिए तैयार है. पांच बिलियन डॉलर की इस मेगा डिफेंस डील पर अमेरिका काटसा प्रतिबंध (काउंटरिंग अमेरिकन एडवर्सरीज थ्रू सैंकशन्स- CAATSA) लगा सकता है. पिछले महीने अमेरिका ने चीन पर यही बैन लगाया था. तब चीन ने रूस से लड़ाकू विमान और मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था.

गौरतलब है कि काटसा प्रतिबंध का इस्तेमाल अमेरिका ने उन देशों पर दबाव बनाने के लिए किया है जो रूस से के साथ अहम रक्षा सौदा करता है. गौरतलब है कि भारत ने अपनी रक्षा जरुरतों के चलते अमेरिकी प्रतिबंध की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए रूस के साथ यह डील करने का फैसला किया है. भारत को उम्मीद है कि उसकी रक्षा जरुरतों को समझते हुए एस-400 डील पर अमेरिका काटसा प्रतिबंध नहीं लगाएगा.

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त में रूस की इस आधुनिक डिफेंस मिसाइल सिस्टम को ध्यान में रखते हुए काटसा कानून को मंजूरी दी थी. अमेरिका ने रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के हितों के खिलाफ काम करने से रोकने के लिए यह कानून तैयार किया है. गौरतलब है कि अमेरिका के इस कानून को रूस की गतिविधियों के मद्देनजर बनाया गया है. इनमें 2014 में रूस की ओर से यूक्रेन पर हमला कर क्रीमिया पर कब्जा करने, सीरिया गृह युद्ध में शरीक होने और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में दखल देना शामिल है.

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सितंबर में चीन के खिलाफ इस कानून के तहत प्रतिबंध लगाया गया था. वहीं, अमेरिकी प्रशासन ने भारत और रूस के बीच होने वाले इस डिफेंस डील पर कहा है कि उसकी अपने सभी मित्र और सहयोगी देशों से अपील है कि वह रूस के साथ डिफेंस डील न करें नहीं उसके पास काटसा कानून का इस्तेमाल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.

अमेरिकी प्रसाशन का दावा है कि काटसा प्रतिबंध एस-400 डिफेंस डील पर लगाया जा सकता है क्योंकि इस कानून के सेक्शन 231 में ऐसी डिफेंस डील पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है जहां सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी होने की संभावना है.

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भारत सरकार का दावा है कि उसे दक्षिण एशिया में अपनी स्थिति को सुरक्षित करने के लिए इस मिसाइल की जरुरत है. रक्षा जानकारों ने दावा किया है कि इस मिसाइल के जरिए जहां भारत चीन को काबू करने की कोशिश करेगा, वहीं इससे पाकिस्तान की मौजूदा क्षमता की तुलना में भारत को बढ़त मिलेगा. बता दें कि दक्षिण एशिया में पाकिस्तान के पास मौजूदा समय में किसी लड़ाकू विमान को ट्रैक करने के साथ-साथ उसे मार गिराने की कूव्वत है. वहीं, पाकिस्तान छिपकर वार करने वाले लड़ाकू विमानों (स्टील्थ फाइटर जेट) को भी मार गिरा सकता है.

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