रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर दोनों देशों के बीच बहुचर्चित S-400 मिसाइल सिस्टम डील फाइनल होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को हैदराबाद हाउस में पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. सुरक्षा के लिहाज से ये डील भारत के लिए काफी अहम है.
गौर करने वाली बात ये है कि भारत इस डील को पक्का कर अपने अहम साझेदार अमेरिका से नाराजगी मोल ले रहा है. रूस भारत का पुराना दोस्त रहा है, यही कारण है कि अमेरिका के द्वारा लगाए गए कई प्रतिबंधों के बावजूद भारत इस डील पर आगे बढ़ रहा है.
US को नहीं रास आ रहा मोदी-पुतिन का साथ!
अमेरिका को भारत और रूस की यही दोस्ती रास नहीं आ रही है. इधर पाकिस्तान की भी इस करार पर नजर है. पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को रूस के साथ किसी तरह के महत्वपूर्ण खरीद-फरोख्त समझौते की दिशा में बढ़ने से आगाह किया और संकेत दिया है कि ऐसे मामले में वह प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर सकता है.
रूस क्यों जरूरी?
दरअसल, पिछले दो दशकों में भारत की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. भारत पिछले कई सालों से अमेरिका को काफी तवज्जो देता हुआ नज़र आया है, लेकिन ये भी याद रखने वाली बात है कि मुसीबत के समय हमेशा रूस ने हिंदुस्तान का साथ दिया है. यही कारण है कि भारत अब अमेरिकी प्रतिबंधों की फिक्र किये बिना डील साइन कर रहा है.
चीन-पाकिस्तान को रोकने की कोशिश!
एक तरफ जहां भारत लगातार अमेरिका के करीब जा रहा था, तो रूस की ओर से भी पाकिस्तान और चीन के साथ दोस्ती की जाने लगीं. अभी दो साल पहले ही 2016 में रूस और पाकिस्तान की सेनाओं ने मिलकर युद्धाभ्यास किया. वहीं 2018 में चीन-रूस ने भी युद्धाभ्यास किया. यही कारण है कि भारत के सामने चुनौती थी कि कहीं रूस भी पाकिस्तान और चीन के करीब नहीं चला जाए.
सिर्फ इतना ही नहीं युद्धाभ्यास के अलावा जब अमेरिका ने पाकिस्तान की सैन्य मदद में कटौती की, तो रूस ने उसके साथ SU-35 लड़ाकू विमान और T-90 टैंक की डील भी साइन की.