विदेश मंत्रालय ने श्रीलंका की सत्ता में राजपक्षे बंधुओं की वापसी का स्वागत किया है. साथ ही कहा कि श्रीलंका की नई सरकार के साथ भारत घनिष्ठता के साथ काम करने को तैयार है. भारत ने साथ ही उम्मीद जताई कि इस द्वीपीय देश के तमिल लोगों की आकांक्षाओं को नई सरकार पूरा करेगी.
क्या भारत श्रीलंका के नए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की चीन से नज़दीकी को लेकर चिंतित है? इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'हमारे संबंध श्रीलंका के साथ या किसी भी और पड़ोसी देश के साथ, स्वतंत्र हैं और ये किसी तीसरे देश या देशों से अप्रभावित हैं. श्रीलंका से हमारे बहुआयामी संबंध अपनी खुद की जड़ों पर हैं, इनका आधार ऐतिहासिक संपर्क और भौगोलिक नजदीकी है.'
पीएम मोदी के न्योते को कबूला
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर उन वैश्विक हस्तियों में शामिल रहे जिन्होंने कोलम्बो जाकर व्यक्तिगत रूप से नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को बधाई दी. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बधाई संदेश भी राष्ट्रपति राजपक्षे को सौंपा. श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने पीएम मोदी के न्योते पर भारत दौरे पर आना भी कबूल कर लिया है. राष्ट्रपति राजपक्षे 29 नवंबर को भारत आ रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने तमिल समुदाय से सुलह की आवश्यकता पर ज़ोर दिया जिसे श्रीलंकाई नेतृत्व ने संज्ञान में लिया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'विदेश मंत्री ने राष्ट्रपति राजपक्षे को भारत की उम्मीद से अवगत कराया कि श्रीलंकाई सरकार राष्ट्रीय सुलह की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी और ऐसे समाधान की स्थिति लाएगी जो तमिल समुदाय की समानता, न्याय, शांति और गरिमा से जुड़ी आकांक्षाओं के अनुरूप होगा.' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के ट्वीट्स से भी भारत का संदेश प्रतिबिम्बित हुआ.
भारत को माना एक मूल्यवान भागीदार
प्रवक्ता ने कहा, 'और तब से आपने राष्ट्रपति राजपक्षे का बयान देखा होगा जिसमें उन्होंने जोर देकर कहा कि वो बिना नस्ली और धार्मिक भेद के सभी श्रीलंकाई नागरिकों के राष्ट्रपति हैं. इसमें ये भी कोई मायने नहीं रखता कि किसी ने उन्हें वोट दिया या नहीं. नए श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि वो देश के उत्तरी और पूर्वी प्रांतों का विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही इस उद्देश्य के लिए भारत को अपना मूल्यवान भागीदार मानते हैं.'
श्रीलंका में हालांकि तमिल नेताओं ने राष्ट्रपति राजपक्षे के बयान का स्वागत किया है लेकिन बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि श्रीलंकाई नेतृत्व ज़मीन पर कैसे अपने वादे को आगे बढ़ाता है. साथ ही कोलम्बो और नई दिल्ली, दोनों साथ मिलकर चीज़ों को आगे कैसे ले जाते हैं.
दोनों देश अब मिलकर चलने की बात कर रहे है. 2014 में दोनों में तनातनी उभरने की बात अब पीछे रह गई है. दोनों देशों ने इस सच्चाई का अहसास किया है कि दोनों पड़ोसी होने के नाते एक दूसरे के लिए कितने अहम हैं.