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महज 20 मिनट में दुश्मन का दिमाग भून देगी हमारी अग्नि-4

भारत ने बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण कर अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन को साफ संदेश दे दिया है- हम किसी से कम नहीं. यह मिसाइल 20 मीटर लंबी है.

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अग्नि-4 का सफल परीक्षण
अग्नि-4 का सफल परीक्षण

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भारत के वैज्ञानिकों ने देश को बड़ा तोहफा दिया है. भारत ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण किया. अब चीन और पाकिस्तान भी हमारी जद में आ गए हैं. इसकी मारक क्षमता 4000 किलोमीटर तक है. यह मिसाइल 20 मिनट में दुश्मन का काम तमाम कर सकती है.

सबसे खास यह कि यदि दुश्मन ने इसे हवा में ध्वस्त करने की कोशिश की तो इसका सिस्टम इसे पहले ही आगाह कर देगा और यह दुश्मन को चकमा दे देगी. इससे पहले कि दुश्मन कुछ समझ पाए, अग्नि-4 अपना लक्ष्य भेद देगी. मिसाइल का परीक्षण ओडिशा तट के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया. बीते पांच साल में अग्नि-4 का महज एक परीक्षण नाकाम रहा है, बाकी सभी सफल रहे हैं.

जमीन से जमीन पर करती है मार
अग्नि-4 पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित मिसाइल है. जमीन से जमीन पर मार करने वाली यह मिसाइल दो चरण वाली हथियार प्रणाली से लैस है. इसे मोबाइल लॉन्चर से अब्दुल कलाम आइलैंड स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज के लॉन्च कॉम्पलेक्स-4 से सुबह करीब पौने दस बजे छोड़ा गया. इस स्थान का नाम पहले व्हीलर आइलैंड था, जिसे बदलकर मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है.

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यह टेक्नोलॉजी बनाती है इसे सबसे अलग
इसकी एक टेक्नोलॉजी इसे दूसरी मिसाइलों से अलग बनाती है. अगर भारत से छोड़े जाने के बाद दुश्मन ने इसे मिसगाइड करने की कोशिश की या इसमें कोई गड़बड़ी आ गई तो यह उसे भांप जाएगी. इसके बाद खुद को अपने आप ही गाइड कर लेगी और अपने लक्ष्य को हर हाल में भेद देगी.

ओडिशा के तट पर लगे रडार
मिसाइल के रास्ते पर नजर रखने और इसके हर पैमाने के निरीक्षण के लिए ओडिशा के तट पर रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम लगाए गए हैं. अंतिम चरण को देखने के लिए भारतीय नौसेना के दो पोत लक्षित स्थान के पास भी लगाए गए थे.

अग्नि-4 की 5 बड़ी खासियतें
1. इसका वजन 17 टन और लंबाई 20 मीटर है.

2. वजन में हल्की है, इसलिए कम समय में मार करती है.

3. यह दो चरणों वाली हथियार प्रणाली से लैस है.

4. मिसाइल में 5वीं जनरेशन के ऑनबोर्ड कंप्यूटर लगे हैं.

5. इंटरनल और माइक्रो नेविगेशन सिस्टम यानी सीधे अचूक मार.

 

 

लगातार 5वीं बार सफल परीक्षण
15 नवंबर 2011: अग्नि-4 का पहली बार सफल परीक्षण किया गया. मिसाइल 900 किलोमीटर तक बंगाल की खाड़ी में अपने लक्ष्य तक गई. सारे सिस्टम ठीक रहे.

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19 सितंबर 2012: मिसाइल का दोबारा सफल परीक्षण हुआ. इस बार इसने अपनी पूरी मारक क्षमता हासिल की और 4000 किमी तक जाकर अपने लक्ष्य को भेदा.

20 जनवरी 2014: यह परीक्षण भी सफल रहा और मिसाइल ने आकाश 850 किलोमीटर ऊंचाई तक गई. इस बार भी अपनी पूरी रेंज तक मार करने में कामयाब रही.

2 दिसंबर 2014: यह इस मिसाइल का पहला यूजर ट्रायल था और परीक्षण लगातार चौथी बार सफल रहा. इसके बाद मिसाइल को सेना में शामिल कर लिया गया.

9 नवंबर 2015: यह दूसरा यूजर ट्रायल था. इसका परीक्षण भी स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमांड (SFC) ने किया. अबकी बार यह मिशन के हर पैरामीटर पर खरी उतरी.

आगे क्या
अब जनवरी या फरवरी में अग्नि-5 मिसाइल का यूजर ट्रायल होगा. यह सफल रहा तो इसे भी सेना में शामिल कर लिया जाएगा. इसके बाद दुनिया में हिंदुस्तान का दबदबा और बढ़ जाएगा. अब तक अग्नि-5 के तीन सफल परीक्षण हो चुके हैं. इसकी मारक क्षमता 5000 किलोमीटर तक है. हालांकि चीन इतना घबराया हुआ है कि उसका कहना है इसकी मारक क्षमता 8000 किलोमीटर तक है.

ये चार, हमारे हथियार
अग्नि-1: 700 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है.
अग्नि-2: इसकी मारक क्षमता 2000 किलोमीटर है.
अग्नि-3: यह 3000 किमी तक वार कर सकती है.
अग्नि-4: इसकी रेंज 4000 किलोमीटर तक है.

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ICBM के पीछे यह अग्निपुत्री
भारत की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) के पीछे का चेहरा हैं- टेसी थॉमस. दुनिया में इन्हें मिसाइल वूमन के नाम से जाना जाता है. भारत में ये अग्निपुत्री के नाम से मशहूर हैं. वह डीआरडीओ की वैज्ञानिक हैं और ICBM के विकास में इनकी मुख्य भूमिका रही है. इनका नाम दुनिया की उन चुनिंदा महिला वैज्ञानिकों में शुमार है, जिन्होंने ICBM पर काम किया है.

उन्होंने 1988 में डीआरडीओ जॉइन किया था. 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इनके बारे में कहा था कि ये वो महिला हैं, जिन्होंने पुरुष वर्चस्व वाले क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और दुनियाभर में भारतीय महिलाओं का नाम आगे बढ़ाया है. बता दें कि मिसाइल टेक्नोलॉजी के प्रति इनका जुनून ऐसा था कि इन्होंने गाइडेड मिसाइल में मास्टर्स डिग्री करने के लिए 20 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था. वह केरल की रहने वाली हैं और डिग्री के लिए पुणे गई थीं.

पाकिस्तान की शाहीन से आगे है हमारी अग्नि
पाकिस्तान को माकूल जवाब देने के लिए हमारी अग्नि-3 ही काफी है. इसकी मारक क्षमता 3000 किमी तक है. पूरा पाकिस्तान इसी की जद में आ जाता है, जबकि PAK की शाहीन-3 की मारक क्षमता 2700 किमी तक ही है. अंडमान निकोबार तक इसकी जद में है. पाकिस्तान के लिए हमें अग्नि-3 से आगे की मिसाइल की जरूरत भी नहीं है.

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दुनिया की मिसाइलों में हम छठे सबसे मजबूत देश
अमेरिका: 13 हजार किमी तक मारक क्षमता
चीन: 12 किमी तक मारक क्षमता
ब्रिटेन: 11 किमी तक मारक क्षमता
रूस: 10 किमी तक मारक क्षमता
फ्रांस: 10 किमी तक मारक क्षमता
भारत: 5000 किमी तक मारक क्षमता
अमेरिका तक पहुंची थी हमारी अग्नि की तपन
अग्नि मिसाइल की लॉन्चिंग से ठीक पहले 1989 में अमेरिका तक घबरा गया था. इस बात का जिक्र खुद दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से अमर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी किताब 'एडवांटेज इंजियाः फ्रॉम चैलेंज टू अपॉर्चुनिटी' में किया है. उन्होंने एक किस्सा बताते हुए लिखा है कि 'अग्नि मिसाइल की लॉन्चिंग होनी थी. लेकिन इससे पहले सुबह करीब तीन बजे तत्कालीन कैबिनेट सचिव टीएन शेषन का फोन आया.

शेषन ने पूछा कि अग्नि की क्या प्रोग्रेस है? फिर, बिना जवाब का इंतजार किए ही आगे बोले- अमेरिका और नाटो का बहुत दबाव है. वे चाहते हैं कि टेस्ट में थोड़ी देर की जाए. कई डिप्लोमैटिक चैनल इसमें जुटे हैं. अगले कुछ सेकेंड में मेरे दिमाग में काफी कुछ बातें आई. दरअसल, ऐसी खुफिया सूचना थी कि अमेरिकी सैटेलाइट हम पर नजर रख रहा है. इससे भी बुरी खबर ये थी कि अगले कुछ दिन चांदीपुर में मौसम खराब रह सकता है. मैंने शेषन से कहा- सर, मिसाइल ऐसी स्थिति में है, जहां से लौटा नहीं जा सकता. चार बजने वाले थे. शेषन ने ‘ठीक है’ कहकर लंबी सांस ली. फिर कहा कि आगे बढ़िए और ठीक तीन घंटे बाद मिसाइल को लॉन्च कर दिया गया'

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