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22000 भारतीय छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है चीन, इंडिया ने यूं किया पलटवार

जब साल 2020 में कोरोना ने चीन में दस्तक दी तो वहां हजारों छात्राएं और छात्र अलग अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे थे. कोरोना संक्रमण के बाद इन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर भारत लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन अब चीन इन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है.

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भारतीय छात्रों को एंट्री नहीं दे रहा चीन (फाइल फोटो)
भारतीय छात्रों को एंट्री नहीं दे रहा चीन (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हजारों भारतीय छात्र चीन में करते हैं पढ़ाई
  • कोरोना की वजह से लौटने को हुए मजबूर
  • छात्राओं-छात्रों को लौटने नहीं दे रहा है चीन

भारत ने चीन की अकड़ को कड़ा संदेश देते हुए चीनी नागरिकों को इंडिया की ओर से जारी किया गया टूरिस्ट वीजा सस्पेंड कर दिया है. चीन के नागरिक अब पर्यटन वीजा पर भारत नहीं आ पाएंगे. माना जा रहा है कि भारत का ये कदम चीन की उस जिद के जवाब में उठाया है जहां चीन भारत के 22 हजार छात्रों को चीन घुसने की इजाजत नहीं दे रहा है. 

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ये छात्र चीन के अलग अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं. इनमें से कुछ मेडिकल के छात्र हैं. जब साल 2020 के शुरुआत में चीन में कोरोना ने कोहराम मचाया तो ये छात्राएं और छात्र जैसे-तैसे भारत आ गए लेकिन अब दुनिया में हालात सामान्य होने के 2 साल बाद भी पड़ोसी देश भारत के इन स्टूडेंट को अपने देश में घुसने की अनुमति नहीं दे रहा है. 

दुनियाभर में एयरलाइंस के संचालन पर नजर रखने वाली संस्था अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (International Air Transport Association) ने 20 अप्रैल को जारी एक सर्कुलर के हवाले से कहा है कि चीनी नागरिकों को जारी किए गए भारतीय पर्यटन वीजा अब वैध नहीं रह गए हैं. IATA दुनिया के 80 प्रतिशत ग्लोबल ट्रैफिक पर पर कंट्रोल करता है. 

IATA के अनुसार अब इन यात्रियों को भारत आने की इजाजत है. इनमें भूटान के नागरिक, भारतीय, मालदीव और नेपाल के यात्री, वैसे यात्री जिन्हें भारत ने रेजिडेंस परमिट जारी किया है, वैसे यात्री जिन्हें भारत ने वीजा अथवा ई वीजा जारी किया है, वैसे यात्री जिनके पास अब OCI कार्ड है,  वैसे यात्री जिनके पास अब PIO कार्ड है, यात्री जिनके पास डिप्लौमैटिक पासपोर्ट है. 

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IATA ने यह भी कहा है कि वैसे पर्यटन वीजा जिनकी वैधता 10 साल तक रहा करती थी अब वैध नहीं है. चीनी नागरिकों का पर्यटन वीजा खत्म होने से उनके लिए अब भारत में एंट्री आसान नहीं रह जाएगी. इसके लिए उन्हें पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. 

क्लासरूम के लिए तरस रहे हैं भारतीय छात्र 

दरअसल साल 2020 में जब चीन में कोरोना का विस्फोट हुआ तो उस वक्त वहां हजारों भारतीय लड़के और लड़कियां अलग अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे थे. कोरोना संक्रमण शुरू होने के साथ ही उन्हें वहां से आनन-फानन में भारत लौटना पड़ा. इसके बाद अब तक उनकी ऑफलाइन पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है. ये छात्र चीन लौटना चाहते हैं लेकिन चीन की सरकार इन्हें इजाजत नहीं दे रही है.  

नई दिल्ली बीजिंग से इन छात्राओं और छात्रों की मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने की मांग कई बार कर चुका है. 17 मार्च को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि चीन की सख्ती से हजारों छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक करियर संकट में पड़ गया है. 

कई बार चीन से अनुरोध कर चुका है भारत 

अरिंदम बागची ने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 8 फरवरी को कहा था कि चीन इस मामले पर नजर बनाए है और विदेशी छात्रों को चीन लौटने की अनुमति देने की व्यवस्था की जांच की जा रही है. 

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विदेश मंत्रालय ने चीनी रुख पर निराशा जताई थी. तब अरिंदम बागची ने कहा था, "लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि आज तक, चीनी पक्ष ने भारतीय छात्रों की वापसी के बारे में कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है. हम चीनी पक्ष से अपने छात्रों के हित में एक अनुकूल रुख अपनाने का आग्रह करना जारी रखेंगे और यह कि वे जल्द से जल्द उन्हें वापस लौटने की अनुमति दें ताकि हमारे छात्र अपनी पढ़ाई कर सकें."

उन्होंने कहा कि पिछले साल सितंबर में दुशांबे में एक बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ भी उठाया था. दोनों विदेश मंत्रियों ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन से इतर ताजिक राजधानी शहर में बातचीत की थी. हालांकि भारत द्वारा कई बार अनुरोध के बाद भी चीन इस मामले में टाल-मटोल का रवैया अपनाता रहा. उसके बाद भारत ने प्रतिक्रिया दी है. 
 

 

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