भारत ने सोमवार को अपनी परमाणु क्षमता संपन्न अग्नि-3 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिसकी क्षमता 3,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक प्रहार करने की है. ओडिशा के समुद्र तट के पास व्हीलर द्वीप से इसका प्रक्षेपण सेना द्वारा प्रायोगिक परीक्षण के तहत किया गया.
डीआरडीओ के प्रवक्ता रवि कुमार गुप्ता ने बताया, 'सेना की सामरिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा किया गया प्रायोगिक परीक्षण पूरी तरह सफल रहा. डाटा विश्लेषण में देखा गया कि परीक्षण में सभी मानकों को पूरा किया गया.' रक्षा सूत्रों ने बताया कि सतह से सतह पर प्रहार करने वाली स्वदेश निर्मित मिसाइल को शाम करीब 4:55 बजे एकीकृत परीक्षण रेंज के लांच काम्प्लैक्स-4 पर स्थित मोबाइल लांचर से प्रक्षेपित किया गया.
एसएफसी ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से प्रक्षेपास्त्र के पूरे प्रक्षेपण अभियान को अंजाम दिया. डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा, 'अग्नि-3 मिसाइल के प्रदर्शन को दोहराने की क्षमता साबित करने के लिए इसकी श्रृंखला में दूसरा प्रायोगिक परीक्षण किया गया.' सूत्रों ने कहा कि डाटा के विश्लेषण के लिए आज के परीक्षण के पूरे प्रक्षेप-पथ पर अनेक दूरमापी केंद्रों, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक प्रणालियों और तट पर स्थित अत्याधुनिक राडारों के माध्यम से और नौसेनिक जहाजों से नजर रखी गई.
अग्नि-3 मिसाइल में दो स्तर की ठोस प्रणोदक प्रणाली है. 17 मीटर लंबी मिसाइल का व्यास 2 मीटर है और प्रक्षेपण के समय इसका भार करीब 50 टन है. यह डेढ़ टन वजनी वारहैड ले जा सकती है. डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक के अनुसार सशस्त्र बलों में पहले ही शामिल किये जा चुके इस प्रक्षेपास्त्र में अत्याधुनिक कंप्यूटर के साथ हाइब्रिड दिशानिर्देश और नियंत्रण प्रणाली है.
अग्नि-3 के 9 जुलाई, 2006 को हुए पहले विकास परीक्षण के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले थे लेकिन 12 अप्रैल, 2007, 7 मई, 2008 और 7 फरवरी, 2010 को किये गये परीक्षण और बाद में 21 सितंबर, 2012 को इसी केंद्र से किये गये पहले प्रायोगिक परीक्षण सफल रहे.