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भारत के लिए राहत लेकर आया ईरान से परमाणु समझौता

ईरान ने खुद पर लगे प्रतिबंधों में कुछ राहत पाने को लेकर अपने विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए विश्व शक्तियों के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया. यह समझौता भारत के लिए भी राहत लेकर आया है.

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ईरान से हुआ ऐतिहासिक परमाणु समझौता
ईरान से हुआ ऐतिहासिक परमाणु समझौता

ईरान ने खुद पर लगे प्रतिबंधों में कुछ राहत पाने को लेकर अपने विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए विश्व शक्तियों के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया. ईरान और पश्चिमी देशों के बीच विवादास्पद मुद्दे पर मिली सफलता को सर्वाधिक महत्वपूर्ण और ठोस प्रगति के तौर पर देखते हुए इसकी सराहना की गई है. चार दिनों की वार्ता को विराम देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस तथा जर्मनी (पी5 प्लस 1) के प्रतिनिधि जिनेवा में इस समझौते तक पहुंचे. इस समझौते की औपचारिक घोषणा यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख कैथरीन एश्टन ने की. यह समझौता भारत के लिए भी राहत लेकर आया है.

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भारत ने दुनिया की छह प्रमुख ताकतों और तेहरान के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते की पृष्ठभूमि में ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम मुद्दे का बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान किए जाने की संभावना का स्वागत किया.

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, ‘भारत बातचीत और कूटनीति के जरिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े सवालों को सुलझाने की संभावना का स्वागत करता है.’

यह समझौता भारत के इस रुख के अनुरूप है कि इस मुद्दे का कूटनीतिक तरीके से परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के ईरान के अधिकार को मान्यता और गैर परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र के तौर पर अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के आधार पर समाधान किया जाना चाहिए.

प्रवक्ता ने बताया, ‘सरकार हमारे प्रमुख वार्ताकारों से विवरण हासिल करने की प्रक्रिया में है.’ उन्होंने कहा कि भारत ने 11 नवंबर को ईरान और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बीच हुए समझौते का स्वागत किया था. आईएईए एकमात्र सक्षम तकनीकी एजेंसी है जो ईरान की परमाणु गतिविधियों की शांतिपूर्ण प्रकृति की जांच करने में सक्षम है.

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हालांकि, ईरान से तेल के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा. इससे भारत और अन्य देश प्रभावित होंगे. भारत ने 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष में ईरान से कच्चे तेल के आयात में कटौती की है क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय प्रतिबंधों की वजह से ईरान से तेल का आयात करना मुश्किल हो गया है.

क्या होगा भारत को लाभ
कच्चे तेल की कीमतों में कमी होने की संभावना.

इससे भारत के आयत बिल में कमी आएगी.

विदेशी मुद्रा पर दबाव कम होगा और रुपये की कीमतों में कमी आएगी.

लंबे समझौते के तहत ईरान से और कच्चे तेल के आयात की संभावना.

ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन को मिलेगी राहत.

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