भारत की ताकत को और फौलादी बनाने आ गया है आईएनएस विक्रांत. पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन और ज्यादातर देसी तकनीक से बना भारत का अपना एयरक्राफ्ट कैरियर लांच कर दिया गया है. आईएनएस विक्रांत के पानी में उतरते ही भारत उन चंद मुल्कों में शामिल हो गया जिनके पास समंदर में तैरता लड़ाकू हवाई अड्डा बनाने की क्षमता है.
रक्षा मंत्री ने करीब साढ़े चार साल पहले इस पोत के निर्माण की बुनियाद रखी थी. इतने विशाल आकार तथा क्षमता के पोत का निर्माण करने वाले अन्य देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस शामिल हैं.
इस पोत के शुभारंभ के साथ ही पोत के निर्माण का पहला चरण संपन्न हो गया तथा इसके बाद इसके बाहरी उपकरणों को लगाने तथा ऊपर के ढांचे के निर्माण के लिए इसे फिर से गोदी में भेजा जाएगा. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, वर्ष 2018 की समाप्ति तक नौसेना में शामिल किए जाने से पूर्व 2016 में इसके गहन परीक्षण शुरू होंगे. मिग 29 के, हल्के लड़ाकू विमान तथा कामोव 31 इस पोत से उड़ान भर सकते हैं.
घरेलू डिजाइन और निर्माण कार्य के अलावा भारतीय इस्पात प्राधिकरण ने इसके लिए उच्च श्रेणी का इस्पात निर्मित किया था जिसका इस्तेमाल इस पोत को बनाने में किया गया.
युद्धपोत के निर्माण में इसके तरण क्षेत्र का लगभग 90 फीसदी हिस्सा, संचालन क्षेत्र का लगभग 60 फीसदी हिस्सा और लड़ाकू आयुधों का करीब 30 फीसदी हिस्सा स्वदेशनिर्मित है. इस पोत की लंबाई 260 मीटर व चौड़ाई 60 मीटर है और इसे डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने डिजाइन किया है तथा कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड में इसका निर्माण किया गया है. इसका निर्माण कार्य नवंबर 2006 में शुरू हुआ था.