पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर का नाम एनआईए चार्जशीट में डालने के बाद अब चार्जशीट में दिए गए सबूत और इंटरपोल से जारी रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर केंद्रीय गृह मन्त्रालय मसूद अजहर पर नया डॉजियर तैयार कर रहा है. गृह मंत्रालय इस डॉजियर में मसूद अजहर और उसके ट्रस्ट अल कलाम की आतंकी गतिविधियों से जुड़े सभी सबूतों का विस्तृत ब्यौरा तैयार कर रहा है. गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस नए डॉजियर के आधार पर मसूद अजहर और पठानकोट के हैंडलर पर शिकंजा कसा जायेगा.
सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि गृह मंत्रालय इस नए डॉजियर को विदेश मंत्रालय के पास भेजेगा. विदेश मंत्रालय इस नए डॉजियर की मदद से पाकिस्तान पर दबाव बनायेगा. साथ ही साथ संयुक्त राष्ट्र संघ में मसूद अजहर पर अपना पक्ष भी रखेगा.
आपको बता दें कि एनआईए ने इसी सप्ताह पठानकोट हमले को लेकर अपनी चार्जशीट मोहाली कोर्ट में दाखिल की है. इसमें उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर का नाम भी शामिल किया है. मसूद अजहर 1999 में कंधार विमान हाइजैक कांड के बाद 155 यात्रियों के बदले रिहा किया गया था. इसके अलावा वह पहले से ही भारत के 50 मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों की लिस्ट में भी शामिल है.
जैश का सरगना आतंकी मसूद अजहर भारत में अब तक कई हमले करा चुका है जिसमें कश्मीर में 19 अप्रैल 2000 को 17 साल के एक स्कूली लड़के ने विस्फोटकों से लदी एक कार को 15 कॉर्प्स हेडक्वॉर्टर के गेट पर उड़ा दिया था.
यही नहीं उसने 25 दिसंबर 2000 को कश्मीर में सेना के मुख्यालय के बाहर कार बम से हमला किया था. जैश अपने जेहादी फिदायीन आतंकियो का सेना के खिलाफ हमले करने में हमेशा इस्तेमाल करता रहा है. सितंबर 2016 में उरी आतंकी हमले में भी जैश-ए-मोहम्मद का ही हाथ बताया जाता है. यही नहीं नगरोटा में भी जैश के आतंकी होने के सबूत मिल रहे हैं. अब इसी सप्ताह एनआई ने पठानकोट हमला मामले में दायर चार्जशीट में मसूद समेत उसके भाई अब्दुल रउफ असगर और दो अन्य नामों को भी शामिल किया है.
जानकारों का मानना है कि जैश आतंकियो और उसके मुखिया के तालिबान आतंकियों से भी करीबी संबंध हैं. जैश के आतंकियों की ट्रेनिंग अफगान कैंपों में होने की खबर खुफिया एजेंसियों के पास है. यहां पर ये आतंकी स्वात घाटी और तोरा बोरा की पहाड़ियों में एक साथ आतंकी ट्रेनिंग ले चुके हैं. जैश के आतंकियो को कई देशों ने ग्लोबल टेरर ग्रुप लिस्ट में शामिल किया हुआ है. यही वजह है कि जैश के आतंकी बचने के लिए दुसरे छोटे आतंकी संगठनों से संबंध बनाकर अपने ऑपरेशन को अन्जाम देते हैं. इनमें लश्कर-इ-झांगवी जैसे संगठन प्रमुख हैं.