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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2014: सरहद पार से आई है चिट्ठी

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के सत्र Between the Lines में भारतीय लेखक आतिश तासीर और पाकिस्तानी लेखिका कैमिला शेमजी ने हिस्सा लिया. दोनों लेखकों ने एक दूसरे को लिखी चिट्ठियां पढ़कर सुनाईं. आतिश तासीर ने सत्र की शुरुआत फिराक गोरखपुरी की पंक्तियों से की, 'मुद्दतें गुजरी, तेरी याद भी आई ना हमें और हम भूल गये हों तुझे, ऐसा भी नहीं...'.

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आतिश तासीर
आतिश तासीर

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के सत्र Between the Lines में भारतीय लेखक आतिश तासीर और पाकिस्तानी लेखिका कैमिला शेमजी ने हिस्सा लिया. दोनों लेखकों ने एक दूसरे को लिखी चिट्ठियां पढ़कर सुनाईं. आतिश तासीर ने सत्र की शुरुआत फिराक गोरखपुरी की पंक्तियों से की, 'मुद्दतें गुजरी, तेरी याद भी आई ना हमें और हम भूल गये हों तुझे, ऐसा भी नहीं...'.

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आतिश तासीर ने अपनी चिट्ठी के जरिए पाकिस्तानी दौरे के बारे में बताया. आतिश की मां हिंदुस्तानी थीं और पिता पाकिस्तानी, पर दोनों थे पंजाबी. पर विभाजन में पंजाब बंट गया. इसकी कसक आतिश तासीर की बातों में साफ झलक रही थी. पर पाकिस्तान में भारत खोजने की कोशिश ने आतिश को बहुत निराश किया. आतिश कहते हैं, 'भारत के साथा साझा इतिहास को भूलकर पाकिस्तान ने खुद से मुंह मोड़ा है.'

इसके जवाब में पाकिस्तानी लेखिका कैमिला शेमजी ने अपनी जवाबी चिट्ठी में लिखा, 'कोई एक शख्स पूरे देश की पहचान नहीं हो सकता. मामला पहचान का है. क्योंकि हमारी सोच और देखने का नजरिया अलग-अलग होता है. एक पाकिस्तानी लेखक सिर्फ एक लेखक है पर एक पाकिस्तानी आतंकवादी पहले पाकिस्तानी है. हम एक ही तरह का सिनेमा और संगीत सुनते हैं. पर एक भारतीय किसी पाकिस्तानी को किस नजरिए से देखता है उसमें बहुत फर्क है. जब मैं भारत आती हूं तो वीजा काउंटर पर ऐसा एहसास होता है जैसे यहां मेरा स्वागत नहीं है. आज जैसे पूरी दुनिया मुझे पाकिस्तानी कहकर बुलाती है कुछ वैसे ही नजरिए से भारत भी देखता है. मेरे लिए कई किस्म के भारत हैं. एक मेरा चाचा, दूसरा मेरा सबसे अजीज दोस्त और तीसरा मीडिया. पर पिछले एक दशक में पाकिस्तान बदल गया है. शायद मीडिया ने उसे नहीं देखा. हम अपने पूर्वी बॉर्डर को लेकर इतने परेशान नहीं है जितना पश्चिमी बॉर्डर को लेकर.'

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