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कॉन्क्लेव 2016: अरविंद सुब्रहमण्यन बोले- बजट के बाद देश को लेकर आशावाद बढ़ा

अरविंद ने सरकार के कार्यों और बजट के बाद के प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा, 'पोस्ट बजट बाजार से अच्छी प्रतिक्रिया आ रही है. इसमें कोई शक नहीं है कि चीन, ब्राजील, जापान और कई मामलों में अमेरिका के मुकाबले भी भारत माइक्रो स्टैबिलिटी के मामले में बहुत बेहतर रहा है.'

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कॉन्क्लेव 2016 में अरविंद सुब्रमण्यन (दाएं) और मोंटेक सिंह अहलूवालिया
कॉन्क्लेव 2016 में अरविंद सुब्रमण्यन (दाएं) और मोंटेक सिंह अहलूवालिया

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव- 2016 में गुरुवार को लंच के बाद पहली चर्चा देश की अर्थव्यवस्था पर हुई. इस दौरान भारत सरकार के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि बजट के बाद देश के एसैट वैल्यू इवॉल्यूशन में बढ़ोतरी हुई है. यही नहीं भारत के बारे में आशावाद बढ़ गया है, वहीं योजना आयोग के पूर्व डिप्टी चेयरमैन मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत क्षमताएं हैं.

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अरविंद ने सरकार के कार्यों और बजट के बाद के प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा, 'पोस्ट बजट बाजार से अच्छी प्रतिक्रिया आ रही है. इसमें कोई शक नहीं है कि चीन, ब्राजील, जापान और कई मामलों में अमेरिका के मुकाबले भी भारत माइक्रो स्टैबिलिटी के मामले में बहुत बेहतर रहा है. डेढ़ वर्षों में FDI के क्षेत्र में हमने खूब तरक्की की है.' उन्होंने कहा कि आधार बिल पर सरकार आम सहमति बना पाई और उन्हें उम्मीद है कि यह बिल देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है.

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2016 का कार्यक्रम

'रखना होगा वैश्विक अर्थव्यवस्था का खयाल'
मोदी सरकार के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर ने आगे कहा हमें किसी भी कार्यक्रम की सफलता को तय करने के क्रम में वैश्वि‍क अर्थव्यवस्था का भी खयाल रखना चाहिए. अरविंद ने कहा कि भारत के तीन मूल आधार हैं. संरचनात्मक सुधार, तुलनात्मक संघवाद के गतिशीलता और तीसरा यह कि अच्छा अर्थशास्त्र ही अच्छी राजनीति है.

बीते एक दशक में हमने अच्छी तरक्की की: अहलूवालिया
दूसरी ओर, योजना आयोग के पूर्व डिप्टी चेयरमैन मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा, 'अरविंद ने अपेक्षाओं की बात की. सरकार हमेशा लक्ष्य की बात करती है. बेंचमार्क बनाती है. भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत कुछ प्राप्त करने की क्षमता है. बीते 10-13 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छी तरक्की है. हम यहां लक्ष्य या बेंचमार्क की बात नहीं कर रहे हैं.'

अगर हम यह देखें कि दुनिया में क्या हो रहा है, आईएमएफ ने ग्लोबल इकोनॉमी को देखते हुए खुद को रिवाइज किया है. लेकिन हम ऐसे समय में भी अच्छा कर रहे हैं. अहलूवालिया ने कहा, 'हम ऐसी वैश्वि‍क अर्थव्यवस्था के समय में भी 7.7 फीसदी ग्रोथ कर रहे हैं. कई सारी चीजें पाइपलाइन में हैं. लेकिन लगातार 7.7 फीसदी ग्रोथ का बने रहना बताता है कि यह सिर्फ सरकार के कारण नहीं है, बल्कि‍ प्राइवेट सेक्टर में भी कुछ हो रहा है.'

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