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Conclave16: 'छात्रों के पास 56 इंच का सीना नहीं, बड़ा दिल लेकर जाए सरकार'

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2016 के दूसरे दिन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि हम कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानते हैं. इसलिए हम वहां की गैरबराबरी पर बात करेंगे.

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कन्हैया कुमार ने कहा कि हम देश विरोधी नारेबाजी के खिलाफ
कन्हैया कुमार ने कहा कि हम देश विरोधी नारेबाजी के खिलाफ

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2016 के दूसरे दिन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कैंपस में छात्रों के बीच भड़कते गुस्से पर अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि हम कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानते हैं. इसलिए हम वहां की गैरबराबरी पर बात करेंगे.

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हर तरह से देशविरोधी नारों के खिलाफ
जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी के आरोप में कन्हैया ने कहा कि हम फांसी के खिलाफ हैं. देश तोड़ने की बात या पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे से हम राजनैतिक और वैचारिक तौर पर खिलाफ हैं. हमारी मांग भूखमरी, बेरोजगारी और गरीबी से आजादी चाहते हैं. देशद्रोह के आरोप में जमानत पर रिहा कन्हैया ने कहा कि मेरे संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन या जेएनयूएसयू ने नारेबाजी का कभी समर्थन नहीं किया. मैं नहीं था, होता तो उसको रोकने की जिम्मेदारी निभाता.

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नारा रोकने की जिम्मेदारी पहले सरकार की
कन्हैया ने कहा कि मौजूदा दौर में देश के लिए राजनैतिक तौर पर सही नारा 'जय नौजवान, जय किसान, जय संविधान' का नया नारा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि नारा रोकने की जिम्मेदारी देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की पहले है, मेरी बाद में. मेरे पास देशविरोधी नारे लगने की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं बिना तथ्यों के बात नहीं करता.

देश विरोधी नारे नहीं सहेगी एबीवीपी
जेएनयूएसयू के ज्वाइंट सेक्रेटरी और एबीवीपी सदस्य सौरभ शर्मा ने कहा कि देशविरोधी ताकतें लोगों की सहानुभूति जुटाने के लिए संविधान का नाम ले रहे हैं. गांव और पिछड़े परिवार की पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए सौरभ ने कहा कि जेएनयू के काउंसलर पदों पर एबीवीपी लगातार जीतती रही है. उन्होंने कहा कि छात्र संगठन होने के नाते आपसी लड़ाई अलग है, लेकिन देश के खिलाफ नारा हम नहीं सहेंगे.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2016 का कार्यक्रम

बाबासाहेब के विरोधी कम्यूनिस्ट उनकी आड़ ले रहे हैं
सौरभ ने बाबासाहेब को चुनाव में हराने के लिए की गई सीपीआई के अपील की चर्चा करते हुए कहा कि ये लोग फंसने के बाद अब उनके भक्त बनते हैं. नौ फरवरी उन्होंने जमानत के बाद भी कन्हैया की ओर से सेना को बलात्कारी बताने वाले बयान की चर्चा की. कन्हैया ने इसके जवाब में कहा कि सबूत है तो कोर्ट लेकर जाएं.

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कम्यूनिस्टों की कथनी और करनी में फर्क
एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक साकेत बहुगुणा ने कहा कि फर्जी साबित हुआ एक वीडियो नौ फरवरी के बाद का है. इसके अलावा भी कई वीडियो हैं. कन्हैया कह रहे हैं कि उन्हें कोर्ट से बेल मिली है. लेकिन आपको पढ़ना चाहिए कि ये अंतरिम बेल है. इसमें लिखा है कि देशविरोधी मानसिकता एक बीमारी के तरह फैल रही है. उमर खालिद अपने भाषण में कहते हैं कॉमरेड्स इन द फैकल्टी. ये जो फैकल्टी में लेफ्ट‍िस्ट हैं वो छात्रों को क्या सिखा रहे हैं. आप उस पर बात नहीं करते. साकेत ने कहा कि कम्यूनिस्टों की कथनी और करनी में फर्क है.

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कन्हैया ने नारेबाजी की निंदा नहीं की
साकेत ने कहा कि ये देश कभी असहिष्णु हो ही नहीं सकता. ये देश तो विवेकानंद का है. बंदूक लेकर नक्सली किससे लड़ रहे हैं. इस देश के लोगों से लड़ रहे हैं. उस संविधान से लड़ रहे हैं, जिसे बाबा साहब ने बनाया था. कन्हैया ने अपने भाषण में कहीं भी नारेबाजी का विरोध नहीं किया. उसकी भर्त्सना नहीं की. हमें कोर्ट पर भरोसा है, जो फैसला आएगा तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

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शेहला बोलीं- मुस्लिम नहीं कम्यूनिस्ट हूं
जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष शेहला रशीद ने कहा कि उमर और अनिर्बान को बेल मिली है. देशद्रोह का आरोप लागू नहीं हुआ है. जब हम नारे लगाते हैं गुजरात के रेसिस्टों को एक धक्का और दो. ये लोग नारे लगाते हैं एक मौका और दो. क्या यह हिंसक नहीं है? शेहला ने कहा कि मैं कश्मीर से हूं. लेकिन मुझे यहां कोई भेदभाव नहीं सहना पड़ता. मैं अपने आप कभी भी मुस्लि‍म पहचान के तौर पर नहीं देखती. मैं वामपंथी हूं. जस्टि‍स वर्मा कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कश्मीर में रेप होता है. अगर सवाल उठ रहे हैं तो जांच होनी चाहिए.

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मेरी नजर में भारत की हिंसात्मक तस्वीर
शेहला ने कहा कि कन्हैया या सौरभ देश के हाश‍एि के परिवार से आते हैं और हम सभी साथ पढ़ते हैं. यह सब संभव है. उन्होंने कहा कि मैं भारत की एक हिंसात्मक तस्वीर के साथ बड़ी हुई हूं. आर्म्ड फोर्स मेरे घर आती है और कहती है वोट डालना होगा. मेरी दादी के लिए कहते हैं कि इस बुढ़ि‍या से भी वोट डलवाओ. यह अफजल गुरु या किसी और के बारे में नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं यूजीसी फेलोशि‍प कैंपेन को लेकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी गई. एबीवीपी ने वहां हमारी सभा को रोकने की कोशि‍श की. वे हमेशा परेशान करने की कोशि‍श करते रहे.

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देश विरोधी नारे लगाने वाले बाहरी थे
शेहला कहा कि नारों के बारे में कहना चाहूंगी कि जेएनयू में कभी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे नहीं लगे. उन्होंने कहा कि हां, भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाए. हमने उन्हें रोका. पर हम सुझाव दे सकते हैं. रोक नहीं सकते.

छात्र हितों पर हर सरकार के खिलाफ उतरेंगे
दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस की उपाध्यक्ष महामेधा नागर ने कहा कि कश्मीरी, मुसलमान, औरत वगैरह का सहारा वामपंथी संगठन सहानुभूति जुटाने के लिए करते हैं. छात्र हितों के मुद्दे पर हम मोदी सरकार के खिलाफ भी सड़क पर उतरे हैं. एफटीआईआई, पुणे में सिनेमेटोग्राफी पर रिसर्च करने वाले छात्र और एसएफआई के महासचिव विकास उर्स ने कहा कि राजनीति फिल्म का एक अहम हिस्सा है. हम भारतीय राजनीति पर भी फिल्म बनाएंगे.

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निशाने पर हैं देश के शिक्षण संस्थान
एनएसयूआई के अध्यक्ष रोजी एम जॉन ने कहा कि देश भर के प्रमुख शिक्षण संस्थानों पर निशाने साधे जा रहे हैं. छात्र गुस्सा नहीं होगा तो क्या करेगा. उन्होंने कहा कि छात्र और युवा मोदी सरकार के खिलाफ हो रहे हैं. मोदी सरकार ने छात्रों के वजीफे रोके, यूपीए सरकार ने बढ़ाए थे. दॉन ने कहा कि आप छात्रों के पास 56 इंच का सीना लेकर जाएंगे तो विरोध सहेंगे. उनके पास बड़ा दिल लेकर जाइए.

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