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Conclave16: शीना अयंगर ने दिए टिप्स, जिंदगी में कैसे करें सही च्वॉइस

शीना अयंगर कहती हैं, 'च्वॉइस एक ऐसा टूल है, जो हमें हम जो कर रहे हैं उससे निकालकर हम जो होना चाहते हैं, वह बनाता है.'

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कॉन्क्लेव के मंच पर शीना अयंगर
कॉन्क्लेव के मंच पर शीना अयंगर

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जिंदगी में हर रोज हम कई बातों का चुनाव करते हैं. कुछ जरूरी, कुछ गैरजरूरी. लेकिन चुनाव करने के लिए लिए सही ढंग क्या हो कि हम जिंदगी में बेहतर कर सके? चुनने के पीछे क्या कोई विज्ञान है? इंडिया टुडे कॉन्क्लेव- 2016 में शुक्रवार को मैनेजमेंट एक्सपर्ट शीना अयंगर ने इन्हीं सवालों के इर्द-गिर्द अपनी बात रखी. वह कहती हैं, 'च्वॉइस एक ऐसा टूल है, जो हमें हम जो कर रहे हैं उससे निकालकर हम जो होना चाहते हैं, वह बनाता है.'

देखें, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2016 LIVE

शीना देख नहीं सकतीं. वह मानती हैं कि अगर वह देख पातीं तो और बेहतर तरीके से निर्णय कर पातीं, लेकिन यह कमी फिर भी उनके आड़े नहीं आती. वह कहती हैं, 'हर चीज एक कहानी के साथ शुरू होती है. जिंदगी अचरच से भरी पड़ी है. मेरी मां ने मुझे सिखाया कि सबसे पहले जरूरी है कि आप अपने पैरों पर खड़े होना सीखें. च्वॉइस एक ऐसा टूल है, हमें अध‍िकार देता है. सब कुछ हमारे हाथ में होता है. लेकिन यह काम कैसे करता है. हम इसके पीछे के विज्ञान से सीख सकते हैं, ताकि हम बेहतर च्वॉइस कर सकें.'

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2016 का कार्यक्रम

जिंदगी बदलने के लिए च्वॉइस
शीना अयंगर कहती हैं, 'अगर हम जिंदगी की कहानी बदलना चाहते हैं तो च्वॉइस करना चाहिए. दो तरह के लोग और विचार होते हैं. एक जो यह मानते हैं कि आप वहीं हैं जैसी आपकी परवरिश हुई है. और दूसरे वे जो खुद में विश्वास करते हैं. सकारात्मक. इनमें टाइप 'ए' फिक्स्ड माइंडसेट है. हम पैदा ही तेज हुए हैं, या हम पैदा ही बुद्धु हुए हैं. यह माइंडसेट है. विश्वास कर रहे हैं इसलिए है.'

वह आगे कहती हैं, 'हम बदलाव को लेकर जितना अधिक जोर देंगे, हम उतना बदल पाएंगे. आप यह मत सोचें कि आप कैसे पैदा हुए. आप यह तय करें कि आप क्या बनना चाहते हैं.'

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सिर्फ विचार न करें, उसे लिख लें
अयंगर कहती हैं, 'अगर मैं आपसे कहूं कि एक साल बाद क्या पाना चाहते हैं? आज से 5 साल बाद क्या पाना चाहते हैं? 10 साल बाद क्या पाना चाहते हैं? हम देखते हैं कि जैसे-जैसे समय का खाका बढ़ता है, गोल सेट करने की हमारी क्षमता कम हो जाती है. कारण अस्थि‍रता. पता नहीं 5 सालों में, 10 सालों में क्या होगा. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम गोल सेट न करें. जो सोचते हैं उसे लिखें जरूर. शोध बताते हैं जिन लोगों से इसे लिखा, वो उनके मुकाबले गोल पर अधि‍क संख्या में पूरा कर पाएं, जिन्होंने बस विचार किया.'

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गोल में संशोधन भी करें
उन्होंने आगे कहा कि गोल को सिर्फ लिखने से काम नहीं चलेगा. जरूरत है कि समय-समय पर उसमें संशोधन भी किया जाए. वह कहती हैं, 'हम आम जीवन में हर दिन कितने सारे चुनाव करते हैं. एक सर्वे में 85 फीसदी ने कहा कि वह हफ्ते की शुरुआत में तय किए गए गोल में से अधिकतर को पूरा नहीं कर पाए. इसके लिए जरूरी है कि गैरजरूरी चुनावों को दूर किया जाए. च्वॉइस की स्किल हर दिन के लिए निश्चि‍त है. हम इसका इस्तेमाल गैरजरूरी में कर लेते हैं. इसे बचाएं ताकि इसका अधि‍क से अधि‍क इस्तेमाल किया जाए. प्राथमिकताएं तय करें.

डर को दूर करें, प्रैक्टिस के साथ च्वॉइस को जोड़ें
शीना ने आगे कहा कि आम तौर पर हम कोई भी च्वॉइस करने से पहले सोचने लगते हैं, डरने लगते हैं. इसका क्या असर होगा. गलत हो गया तो. वह कहती हैं, 'कई लोग लंबे अरसे तक एक ही काम करते रहते हैं. प्रैक्टिस अच्छी चीज है, लेकिन सिर्फ प्रैक्टिस से जिंदगी में बदलाव नहीं आने वाला. अपनी स्ट्रैटजी को बदलते रहें. आज जो किया वो बेहतर है या कल जो किया था वो बेहतर है. खुद से यह सवाल करें. इससे निर्णय करने की क्षमता में विकास होगा.'

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शीना अयंगर ने कहा कि च्वॉइस करने के क्रम में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम समाज में रहते हैं. यानी कि हमारे चुनाव का दूसरों पर क्या असर पड़ेगा. अनुभव और प्रयोग का मेल ही सही चुनाव तक पहुंचाता है.

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