इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2017 के 8वें सत्र में चर्चा दि ग्रेट डिबेट: मिलियन म्यूटिनीज पर चर्चा हुई. इस चर्चा में जम्मू-कश्मीर सरकार के मंत्री सज्जाद लोन, लोकसभा सदस्य असादुद्दीन ओवैसी, जेएनयू प्रोफेसर दिपांकर गुप्ता, आईसीएसएसार के चेयरमैन सुखदेव थोराट, संगीतकार टीएम कृष्णा और सांसद विनय सहसराबुद्धे शामिल हुए. इस सत्र का संचालन राहुल कंवल ने किया.
इस सत्र की शुरुआत करते हुए राहुल कंवल ने लोकसभा सदस्य और एआईएमआईएम के प्रेसिडेंट असादुद्दीन ओवैसी से भारतीय लोकतंत्र की ताकत पर सवाल किया. ओवैसी के मुताबिक देश में नरेन्द्र मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास की सिर्फ बात करती है. वहीं हकीकत उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे बताते हैं. ओवैसी के मुताबिक उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों में कब्रिस्तान पर श्मशान की जीत हुई है.
ओवैसी ने कहा कि देश में जो लोग हिंदू राष्ट्र में विश्वास नहीं रखते उन्हें एंटी नैशनलिस्ट कहा जाता है. हालांकि चुनावों में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की बड़ी हार पर ओवैसी ने कहा कि यूपी चुनाव के नतीजे यह भी बता रहे हैं कि देश में परिवारवाद की राजनीति के दिन खत्म हो चुके हैं.
सत्र में शामिल जम्मू-कश्मीर के मंत्री सज्जाद लोन ने कहा कि कश्मीर में नई सरकार के कार्यकाल के दौरान भी कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. हालांकि लोन ने कहा कि मौजूदा एनडीए सरकार से कश्मीर बेहद खुश है. लोकतंत्र के सवाल पर लोन ने कहा कि कश्मीरी अवाम भी किसी अन्य की तरह पूरी तरह से भारतीय है. लोकतंत्र के सवाल पर लोन ने कहा कि लोकतंत्र पश्चिमी देशों की व्यवस्था है. वहीं लोकतंत्र के सवाल पर समाजशास्त्री और जेएनयू प्रोफेसर दिपांकर गुप्ता का कहना है कि लोकतंत्र का रास्ता बेहद कठिन है. वहीं लोकतंत्र में मोदी को चुनौती देने के सवाल पर गुप्ता का मानना है कि मोदी से मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी पर्याप्त नहीं हैं. कांग्रेस को मोदी को चुनौती देने के लिए अपने विकल्पों को खंगालना होगा. बीते चुनावों में कांग्रेस के लिए यह पूरी तरह साफ हो चुका है कि उसे नए नेतृत्व की जरूरत है लेकिन वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है. वहीं देश में अल्पसंख्यकों पर गुप्ता ने कहा कि देश में समस्या मुसलमानों में नहीं है बल्कि उनके प्रवक्ताओं में है.
आईसीएसएसार के चेयरमैन सुखदेव थोराट ने लोकतंत्र के सवाल पर कहा कि भारत एक वर्किंग डेमोक्रेसी है. यहां नागरिकता के आधार से लोकतंत्र बना है न कि किसी धर्म के आधार पर. थोराट ने कहा कि देश में लोकतंत्र को अधिक धर्मनिरपेक्ष बनाने की जरूरत है. यहां अल्पसंख्यक असुरक्षित इसलिए महसूस करते हैं क्योंकि बहुसंख्यक को धर्म का सहारा मिल जाता है.